आहिस्ता चल जिन्दगी

आहिस्ता चल जिन्दगी

जिंदगी! थोड़ा धीमे धीमे चल- यही कहते हैं कलमकार प्रिंस कचेर “साक्ष” इस कविता में। जिंदगी वक्त के साथ सदा चलती रहती है कभी थमती नहीं है।

आहिस्ता-आहिस्ता चल जिन्दगी,उम्र कट जायेगी।
ये जिन्दगी यादों कि, किताब बन जायेगी॥

तेरे संग बीते पलों, की याद बहुत तड़पाएगी।
और फिर यादों के सहारे, हमारी जिन्दगी कट जाएगी॥

दोस्ती से ज्यादा अनमोल, कोई खजाना नही होता।
जीवन में कोई दोस्त नया, या पूराना नही होता॥

हकीकत से मेरे दोस्त, तू अब भी अंजान है।
आहिस्ता चल जिन्दगी, अब हम दो पल के मेहमान है॥

~ प्रिंस कचेर “साक्ष”

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