ओ बेटी

ओ बेटी

कलमकार अतुल मौर्य ने एक कविता प्रस्तुत की है जिसमें वे बेटी को संबोधित करते हुए अपने मन के भाव प्रकट किए हैं।

ओ बेटी,
तू मान बन.. अभिमान बन,
गौरव बन.. सम्मान बन,
कल का इतिहास बदलने को तू,
आज का वर्तमान बन,
तू रो मत.. तू सिसक मत,
तू दुर्गा है.. तू काली है,
हो सके तो तू,
दुश्मनों के लिए रानी झाँसी बन,
तू हँस.. तू मुस्कुरा,
तू इस चमन पे,
अपना एक नया गुलिस्तां बना,
तू बिखेर अपनी मुस्कुराहटों के रंग,
इस ज़हान का फरिश्ता बन जा,
करके संकल्प.. तू आगे बढ़,
मिलेंगी कठिनाईयाँ..पर तू घबरा मत,
पा के तू अपनी मंजिल को,
अपने बाबुल के आँगन की पहचान बन।

~ अतुल कुमार मौर्य ‘एक अल्फाज’

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