१४ सितंबर २०२०: हिन्दी दिवस (हिंदी की विशेष रचनाएँ)
हिन्दी
यूँ तो दुनिया में
कई भाषाएं लेकिन
रखती सब भाषाओं में
अलग पहचान है हिन्दी
मातृभाषा है राष्ट्र भाषा है
हिन्द है हिन्दुस्तान है हिन्दी
आधार हर एक भाषाओं की
सब भाषाओं की जान हिन्दी
हिन्दी सिर्फ़ एक
भाषा मात्र भर नहीं
सिर्फ़ अभिव्यक्ति नहीं
एक सभ्यता है
एक समुदाय है हिन्दी
संस्कृत से जन्मी संस्कृति है
अनूठी है ओजस्विनी है
राष्ट्र के माथे की बिंदी है हिन्दी
आन बान और शान है हिन्दी
हिन्द है हिन्दुस्तान है हिन्दी
हाँ.. हिन्दी सिर्फ एक
भाषा मात्र भर नहीं
एक सभ्यता है
एक संस्कृति है हिन्दी
सच पूछिए तो साहित्य का
असीम सागर और मान है हिन्दी
जहाँ तुलसी से लेकर कबीर तक
मीरा से लेकर रहीमन फकीर तक
बिहारी से लेकर निराला तक
राष्ट्र कवि दिनकर के हुंकार से लेकर
बच्चन की मधुशाला तक
ठूमरी से लेकर सवईया तक
तानसेन सा हर गवईया तक
हर कविता हर सूर का सागर है हिन्दी
ज्ञान से भरा अनुपम गागर है हिन्दी
हिन्दी मीठी सरल सुंदर
और मनोरम तो है ही
पढ़ने व पढ़ाने में भी
सहज एवं सुगम है हिन्दी
हिन्दी सिर्फ़ हिन्दुस्तान की ही नहीं
पूरे विश्व जनमानस की भाषा है
हिन्दी को समझना है तो
पहले हिन्दुस्तान को समझना होगा
इसकी गंगा जमुनी तहज़ीब को समझना होगा
हिन्दुस्तान की तरह
विविधता में एकता की
पहचान है हिन्दी
हिन्दी हर भाषाओं को साथ
लेकर तो चलती ही है
दिल को दिलों से जोड़ती है हिन्दी
एक सभ्यता में दूसरी
सभ्यता का रंग घोलती है हिन्दी
मातृभाषा है राष्ट्र भाषा है
हिन्द है हिन्दुस्तान है हिन्दी
हर भाषा की जननी
अभिमान है हिंदी
हर भाषा की जननी
अभिमान है हिंदी
हिन्दी दिवस
हिंदी दिवस हमारा देश का एक पर्व है।
इस पर्व पर हमें गर्व है।।
हिंदी भाषा हमारी आन बान शान है।
जिस पर हमें पूरा अभिमान है।।
हिंदी भाषा का करते हम सम्मान है।
हिंदी भाषा पर गर्व करने वाले लोग बड़े महान हैं।।
जन-जन की भाषा है हमारे हिंदी।
भारत की आशा है हमारी हिन्दी।।
खुले दिल से अपनाओ इस खुले आसमान को।
लेकिन ना छोड़ो कभी इस धरती माँ के प्यारे हिंदी भाषा को।।
एक डोर में सबको जो है बांधती वह है हिन्दी।
हर भाषा को जो सगी बहन मानती वह है हिंदी।।
क्यों ना अपनी मातृभाषा को अपने सर आंखों पर बैठाए।
आओ हम सब मिलकर गर्व से हिंदी दिवस मनाए।।
हिन्दी भाषा (हाइकु)
हिन्दी हमारी
है सबसे महान
जग से न्यारी
भाषा हमारी
हिन्द की पहचान
कितनी प्यारी
हिन्दी हमारी
है सबकी जननी
ममता न्यारी
हिन्दी कविता
से बचाओ इसका
मान सम्मान
हिंदी मेरी शान
मेरी आन, मेरा अरमान है हिंदी,
विविधता में रहे एकता
मेरी असली पहचान है हिंदी,
एक राष्ट्र, एक ही भाषा
भारत का सम्मान है हिंदी
जीवन का हर भाव इसी से
सबका है लगाव इसी से,
एक सूत्र में बाँधे सबको
मेरा तो ये मान है हिंदी,
हिंद की ये माथे की बिंदिया
ख़ुद में समेटे हिंदुस्तान है हिंदी
देवनागरी की चादर ओढ़े
हर इसां में प्रेम जगाए,
सभ्यता का ये सागर गहरा,
विचारों का मेल कराये,
आगाज़ यही, अंजाम यही
इतनी है महान ये हिंदी
क से कर्म, ख से खुशियाँ
ग से गीता का ज्ञान है हिंदी,
साहित्य और संस्कृति का
व से है वरदान ये हिंदी,
पाली इसका नाम पुराना
“दीप” कहे मेरी शान है हिंदी
हिंदी भाषा की समृद्धि
भारत की स्वंय सिद्ध राष्ट्रभाषा है हिंदी,
भारत की आन है हिंदी,
भारत की शान है हिंदी,
भारत की मान है हिंदी,
भारत की आशा है हिंदी,
अपनी जीवन की परिभाषा है हिंदी,
एक समृद्ध भाषा है हिंदी,
संस्कृत की पहचान है हिंदी,
हिंदुस्तान की जान है हिंदी,
अनेक वेद, पुराण समाई,
हर क्षेत्र में छाई है हिंदी,
वर्ग, जाति, विचार, सोच,
हर कुछ में समाई है हिंदी,
हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार करे,
जन-जन में इसका नाम करे,
एक ही संकल्प अपना,
विश्व में हिंदी को सम्मान दिलाना,
लिखने, पढ़ने, बोलने में सबसे सरल, सबसे मधुर,
ऐसी है यह अपनी भाषा हिंदी,
सम्पूर्ण देश की संपर्क भाषा है हिंदी,
नई सोच, नई विचार, नई उमंग, की पनप है हिंदी,
कई संघर्षो के बाद वर्तमान समय में हिंदी ने अपना स्थान बनाया,
आइये मिलकर हिंदी की मान मर्यादा और गौरव को आगे बढ़ाये
मातृ भाषा हिन्दी
आओ हिंदी का सम्मान करें, हिंदी को गले लगाएं
आओ हिंदी को वरदान समझे, हिंदी को गले लगाएं
आओ हिंदी को शान समझे, हिंदी को गले लगाएं
आओ हिन्दी का उद्घोष करें, हिंदी को गले लगाएं।।
हिंद पावन धरती की विशेषता है हिन्दी
आर्यावर्त की अनेकता में एकता है हिन्दी
मार्मिक भाव पहचान का साधन है हिन्दी
स्नेह के मनोरम दृश्यों का बंधन है हिन्दी।।
विचारों की सहजता भाव को प्रकट कर दिखलाए
उन भाषाओं की प्रगति से बहुत है है हमें कामनाएं
मातृ भाषा को विश्वप्रसिद्ध बना जो जगत में पहुंचाए
उन व्यक्तियों को हिंदी अपना सदैव गौरव कहलवाए।।
हिंदी हमारी मातृभाषा है जग का नाता है
जो इसे सम्मान समझे वो गौरव पाता है
विभिन्न भाषाओं में हिंदी शुद्धता लाता है
स्नेहित हिंदी सभी के हृदय को मिलाता है।।
हिंदी
भाषाएं भारत की समृद्ध
शिरोमणि है इनमें हिन्दी,
सब संस्कृत की पौत्र पौत्रियां
गुण गण सबकी मिलती-जुलती
पालि, प्राकृत, अपभ्रंश के रूपों में
होकर बहती प्रवाहित कालिन्दी,
रस छंद काव्य व्याकरण शुद्ध
परिष्कृत देवनागरी की समृद्धि
रासो रचनाओं में डिंगल
वीर भाव लेकर करतल निनाद
खुसरो की खड़ी बोली और
भक्ति काल का महाकाव्य
रस खान और आलवार सन्त
घनानंद का काव्य प्रेम सुजान,
रीति काल हिन्दी का विकास
बहुतेरे कलमकारों का योगदान
हिन्दी का गौरव रामचरित और
अखरावट पदमावत, जायसी का कलाम,
सूर सूरावली, मीरा के पद और
साखी सबद कबीर का पयाम
श्याम सुंदर महावीर भारतेंदु
हिन्दी के आधुनिक शिल्पकार,
शिक्षा संस्कार का है विकास
हिन्दी है वाणी का श्रृंगार
रोती पर हिंदी अपना भाग्य
पर-भाषा से अब देख प्यार,
अंग्रेजी को दो सम्मान लेकिन
अपनी निज भाषा बहिष्कार?
बच्चों को गौरव पता नहीं
शुद्ध हिंदी पर हंसते हैं आज,
अंग्रेजी को अशुद्ध बोलते
हिन्दी में अपंग, ये हिंदी समाज
अपनी भाषा में उन्नति ही नहीं
पर भाषा में कैसे हो पूर्ण ज्ञान,
न अपने शस्त्रों से जीत सके
व्यर्थ ले अपरिचित तीर कमान
हिन्दी अभिव्यक्ति का गौरव
निज गौरव का अनुभव आनंद,
हिन्दी भारत का हृदय स्पंदन है
बन संस्कृति की पावन सुगंध
हर क्राति का आधार है हिन्दी
हिन्दी है राष्ट्र का सम्मान
भारत के भाषायी गौरव प्रमाण
निज भाषा को शत् शत् प्रणाम
हिंदी हमारी पहचान है
हिंदी भारत का अभिमान है
माँ भारती के माथे की बिंदी है
साहित्य की फुलवारी है
सम्मान की अधिकारी है
कश्मीर से कन्याकुमारी तक
अखंड राष्ट्र का परिचय कराती
भारत को एक सूत्र में बांधे रखती
हिंदी हिंदुस्तान की पहचान है
जन-जन का स्वाभिमान है
भाषा समुदाय की जननी है
हिंदी ही वह भाषा है
जिसमे हम विचाराभिव्यक्ति करते हैं
सरल, सहज, सुन्दर, मनोहर
मीठी-मीठी शब्दों से श्रृंगार करती
वर्तनी हो या व्याकरण
कविता, कहानी या हो संस्मरण
हिंदी काव्य का कल्याण है
हिंदी से भाषाओं का उत्थान है
देवनागरी लिपि पहचान है
भाषा नहीं विरासत है यह
विशाल शब्दकोष से मान बढ़ाती
रस, छंद, अलंकार से सजाती
मुहावरे, लोकोक्तियाँ शोभा बढ़ाती
संस्कृति, सभ्यता का प्रतिनिधित्व कराती
धर्म मजहब को एकसूत्र में बांधे रखती
देश के समृद्धि की पहचान है
हिंदुस्तान की आन, बान और शान है।
हिंदी मातृभाषा
राष्ट्र प्रेमी हो तो मान करो
हिंदी में पहचान करों,
हिंदी मातृभाषा हमारी,
इसे मां सा सम्मान करों।
जय हिन्द कहो,
जय हिन्दी कहो,
हिंदी पर अभिमान करो।
हिंदी मातृभाषा हमारी,
इसे मां सा सम्मान करों।
ना गौड़ बने हिंदी, ना प्रोढ बने हिंदी।
नवनित हिंदी बने, नव गीत बने हिंदी।
हिंदी से नवजागरण की पहचान करो,
हिंदी मातृभाषा हमारी,
इसे मां सा सम्मान करों।
हिंदी की महिमा (दोहे)
भारत की पहचान है, भारत की है शान
हिन्दी की महिमा बड़ी, हिन्दी है मेरी मान
भाषा सबसे ही सरल, दूजा है अनमोल
जग में है सबसे बड़ी, जन-जन के है बोल
माँ जैसी ममतामयी, दूजा बड़ी उदार
हिन्दी है वो पावनी, आ नद घुले हजार
राष्ट्र-चेतना वाहिनी, जन-जन की है प्राण
हिन्दी है जड़ में बसी, दूर न हो लो जान
न वाणी ये विज्ञान भी, देता हर संदेश
संचारी है ये प्रबल, घुल जाता हर भेष
जैसी हिन्दी लिखिए, वैसी वाणी बोल
‘ओज’ बताये आपको, हिन्दी का ये मोल
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