काश! मानव समझ सकते

काश! मानव समझ सकते

आज सारा देश,
कोरोना के कारण
है, ख़ामोश।
सहम सा गया है,
प्रत्येक मानव का दिल
वजह सिर्फ मानव
और मानव की अभिलाषा।
कभी वृक्षों को काट बनाते
है, होटल, मकान, फैक्टरी
तो कभी मासूम पशु-पक्षी
को मार कर खाते है, चाव से।
हजारों अनगिनत कार्य है ऐसे
जो है प्रकृति के विपरीत,
पर मानव करते है वही कार्य।
काश! मानव समझ सकते
तो आज ऐसी भयावह
स्थिति, न देखनी पड़ती।

~ स्नेहा कुमारी

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