जीवन में किसी खास के आगमन से हममें बहुत परिवर्तन हो जाता है। कलमकार मनोज कुमार लिखते हैं कि यदि तुम न होते तो मैं प्रेम के गीत भला कैसे गुनगुनाता।
तुम न होते तो प्रेम गीत गाता कैसे,
शब्दों से आशिक़ी लगाता कैसे,
होश में हूँ ये बताता कैसे,
नाम अपना प्रेम कवि बनाता कैसे
तुम न होते तो प्रेम गीत गाता कैसे,बादलों से नैन लड़ाता कैसे,
तुम्हारी खुश्बू पन्नों को समझाता कैसे,
भीड़ में तन्हा बुलाता कैसे,
लब है शब के मखमल जताता कैसे,
तुम न होते तो प्रेम गीत गाता कैसे,शाम को लिखता बहकती जवानी कैसे,
हवा से भेजता प्रेम संदेह कैसे,
चाँदनी पीली रात में साज सजाता कैसे,
सात जन्मों के साथ कि कसमें खाता कैसे,
तुम न होते तो प्रेम गीत गाता कैसे।~ मनोज कुमार निषाद
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