मैं मेहनत कश मजदूर हूँ
हालातों से थोड़ा मजबूर हूँ
खून पसीना एक करता हूँ
अपने परिवार का पेट भरता हूँ
सुन्दर सपनों की दुनिया मे जीता हूँ
उम्मीदों का आकाश निहारता रहता हूँ
अपने कर्म पर ही भरोसा करता हूँ
अच्छे दिनों की आस पर जिंदगी जीता हूँ
ये असीमित आसमान ही मेरा मकान हैं
इस धरती माता की गोद ही मेरा बिछौना हैं
नित दिन अभावों की जिन्दगी जीता हूँ
पर अपने स्वाभिमान को कभी नहीं बेचता हूँ
हां मैं भारत का मेहनतकश गरीब मजदूर हूँ
कोरोना महामारी में दर दर भटकने को मजबूर हूँ
~ सत्यनारायण शर्मा “सत्य”