मैं मजबूर हूँ

मैं मजबूर हूँ

गरीबों पर सबसे बड़ा संकट काल है
प्रवासी मजदूरों का देखो हाल बेहाल है

महामारी में जीवन जीना बड़ा दुस्वार हैं
गरीब तबके पर पड़ी सबसे भारी मार हैं

गरीब मजदूर ही सबसे ज्यादा मजबूर हैं
चारों तरफ देश मे देखो मची हाहाकार है

चुनावों के वक्त ही जिनसे मतलब होई
इनके दर्द को नहीं समझने वाला कोई

दर दर दाने को भटकने को मोहताज हैं
बच्चे बेचारे रोटी को तरसते ये आज है

है परवरदिगार! ये कैसी आफत आई हैं
हृदयविदारक दृश्य देख आंख भर आईं हैं

~ सत्यनारायण शर्मा “सत्य”

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