दीपक हूं मैं

दीपक हूं मैं

एक दीपक का कर्म होता है अंधकार मिटाकर उजाला फैलाना और प्रकाश सदैव सकारात्मक दिशा की ओर इशारे करता है। कलमकार सुनील कुमार की एक ऐसी ही कविता पढ़ें जो आपको ऊर्जावान बनाएगी।

दीपक हूं मैं जलता रहूंगा
तिमिर धरा का हरता रहूंगा
भटके हैं राही जो जीवन पथ से
पथ उनके आलोकित करता रहूंगा
दीपक हूं मैं जलता रहूंगा।
सुख हो चाहे दुःख साथ चलता रहूंगा
खुद जल पथ रौशन करता रहूंगा
दीपक हूं मैं जलता रहूंगा।
निराशा में आशा की किरण बनता रहूंगा
अंधेरों से सदा लड़ता रहूंगा
दीपक हूं मैं जलता रहूंगा।
दीन-हीन का बल बनता रहूंगा
कष्ट उनके सदा हरता रहूंगा
दीपक हूं मैं जलता रहूंगा।

~ सुनील कुमार

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