कलमकार सुनील कुमार जी महिलाओं के सम्मान में कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं, आप भी पढिए।
न मैं अबला न बेचारी हूंमैं शक्ति स्वरूपा नारी हूंमां-बहन- बेटी-बहूरूप अनेक धारी हूंमैं शक्ति स्वरूपा नारी हूं।बाबुल की मैं राजकुमारीप्रीतम को अति प्यारी हूंमैं शक्ति स्वरूपा नारी हूं।खुशियों पर अपनों केसब कुछ अपना वारी हूंमैं शक्ति स्वरूपा नारी हूं।विपदाओं से लड़ी हमेशाकभी न हिम्मत हारी हूंआज नहीं आदि काल सेदुष्टों को संहारी हूंमैं शक्ति स्वरूपा नारी हूं।~ सुनील कुमार