मैं कैसा बन गया हूँ,
कैसे तुम्हें बताऊँ
तुम मेरा यक़ीन करोगे,
इसका मुझे यक़ीन नहीं है।
पहले तो मै ऐसा न था,
तुम भी तो ऐसे न थे।
पलभर में सब बदल जाएगा,
इसका मुझे यक़ीन नहीं है।
गल्ती की मैंने,
सजा पछतावा बनकर मिल गई।
मेरे साथ तुम भी पछता रहे हो,
इसका मुझे यक़ीन नहीं है।
हुई है जो गल्ती मुझसे,
अब दिलासा दिला रहे हो।
सारा कसूर मेरा ही था,
इसका मुझे यक़ीन नहीं है।
उठेगी उंगली जमाने की
मेरी और शायद तुम्हारी भी तरफ
लोग मेरे हालत को समझेंगे
इसका मुझे यक़ीन नहीं है।