छोड़ गया मैं तुझे मां, तेरी बेहया हाल में
शहर को गया मैं मां, तेरी ख्वाहिश की अरमान में।
छलक रही थी आशु मां, जुदाई भरी आंखों से
ममता की चदर से मां, निकलकर उबरने से।
याद आ रही हर लम्हें मां, जिन्हें बिताए थे हम खुशी से
एक ही थाली से मां, रोटी छीनकर खाने से।
छोड़ गया मैं तुझे मां, तेरी बेहया हाल में
शहर को गया मैं मां, तेरी ख्वाहिश की अरमान में।
पल – पल सताए जाए मां, ये दूरियां हमारी
मिल रही थी सुखी रोटियां यहां मां, थालियों से भरी।
सेहत का फिक्र न था मां, तुम्हारे ममता की चदर में
मुरझाए से रहता हूं मां, कुछ कर जाने की आश में।
छोड़ गया मैं तुझे मां, तेरी बेहया हाल में
शहर को गया मैं मां, तेरी ख्वाहिश की अरमान में।
~ विमल कुमार वर्मा