तुमसे इश्क़ है मुझे
मैं बस इतना जानती हूँ
तुम्हारे सवालो के जवाब में मैं
अक्सर ख़ामोश हो जाती हूँ
जाने दो छोड़ो यार कहकर
बात टाल देती हूँ
हाँ थोड़ी बेपरवाह हूँ
मगर, फ़िक्र है तुम्हारी
गुस्सा करती हूँ तुमपे यूँ बेवजह
ये मैं मानती हूँ
तुमसे इश्क़ है मुझे
मैं बस इतना जानती हूँ
तुम्हारे मैसेज का रिप्लाई
अक्सर देर से देती हूँ
मगर तुम तो जानते हो ना
मैं कितनी आलसी हूँ
बात हो या ना हो मैं नहीं मानती हूँ
इश्क़ की गहराई,बातों से नहीं तोलती हूँ
तुमसे इश्क़ है मुझे
मैं बस इतना जानती हूँ
अक्सर तुमसे मिलने मैं देर से आती हूँ
पर क्या करूँ मैं ट्रैफिक में फंस जाती हूँ
तुम नाराज नहीं होते मुझसे
ये बात मुझे भाती है
तुम्ही साथ रहो हमेशा मेरे
यही मैं चाहती हूँ
हर दुआ में मैं तुम्हें ही मांगती हूँ
तुमसे इश्क़ हैं मुझे
मैं बस इतना जानती हूँ
~ सचना शाह