मुझे याद है तेरा मुस्कराना

न भूली जाने चीजें ही याद बनती हैं और इन यादों को कोई मिटा भी नहीं सकता है। कलमकार हेम पाठक लिखते हैं कि किसी का मुस्कुराना भी लोगों को याद आता है।

मुझे याद है तेरा मुस्कराना
लहरा के चलना
बल खा के सँभलना
भरी-भरी राहों में
बच-बच के निकलना
मुझको लुभाकर
दिल को सताना
लगाकर के आग
फिर ना बुझाना
वक्त देकर भी तुम्हारा
मुखड़ा न दिखना
मुझे याद है तेरा मुस्कराना

जब आते थे आँसू
भरते थे आह
चुपके से आना
प्यार जताना
दिल के होते ही खुश
फिर चले जाना
मुझे याद है वो सपने दिखना

लाकर के फूल
गुलदस्ते में सजाना
हाथों में लेकर मेरा हाथ
अपने अधरों से लगाना
चुपके से कहना
ये फूल नही
मेरा दिल है, फिर
तेरा खो जाना

रखा हूँ तब से
अब तक वो फूल
देखते ही दिल में
चुभ जाता शूल

वश नही अब
इन्तजार करना
कर दो विमुक्त
वो सपने दिखाना

~ हेम पाठक


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