एक दूसरे का ख्याल रखना, परहित और राष्ट्रहित मानव का कर्तव्य है, इन सभी से ही वह मानवता की सीख लोगों के बीच प्रस्तुत करता है। समीक्षा सिंह की एक कविता है जिसमें उन्होने मानव की पहचान बताने का प्रयास किया है।
मानवता का करो ख्याल
मानव तुम कहलाओगे,
मद! में डूबे रहे यूं ही
भीड़ में छिप जाओगे
कब्र पर मरसिए को तरस जाओगे;
परिताप तो है रात्रि सूचक
प्रातः पुन उग जाओगे
मानवता का करो ख्याल, मानव तुम कहलाओगे।।रखो चित्रवन यदि तुम श्वेत ।
कर्फ न हो स्वाभिमान का भेद
अहं तड़प जाए; करीब आने को
करो प्रयास रक्षक बन जाने को
मानवता का करो ख्याल, मानव तुम कहलाओगे।।कर्म करो उत्थान के लिए
नाम ही काफी नहीं, पहचान के लिए
तत्पर रहें, बलिदान के लिए
जिएँ दूसरो के स्वाभिमान के लिए
मानवता का करो ख्याल, मानव तुम कहलाओगे।।~ समीक्षा सिंह
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है। https://www.facebook.com/hindibolindia/posts/395841024656409
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