इंतज़ार

इंतज़ार

खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें,
अभी तो सांसे रुकी हुई हैं।
अभी से दिल बेकरार है इतना,
अभी तो नज़रें मिली नहीं हैं।।

अभी तो मिलना मुमकिन नहीं है,
अभी तो वो हैं नाराज बैठे।
उन्हें है जिद की मनायें उनको,
अभी तो आँखे खुली हुई हैं।।

जो चिलमन से झलक रहा है,
उसका अपना अलग मजा है।
तुमको पसंद होंगे फूल ज्यादा,
हमें जो कलियाँ खिली नहीं है।।

तुम्हारी चाहत में अपसरा है,
कि फिराक में तुम बैठे हो।
हमारी चाहत में है अहिल्या,
जो वर्षों से हिली नहीं है।।

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