स्वतंत्रता
आजादी के सपनों में खोए रहते थे,
स्वतंत्रता के बीज रण में बोए रहते थे।
खाए तन पर उनके कोड़े,
किए ध्वस्त अंग्रेजी घोड़े।
सत्य अहिंसा के पुजारी थे,
वीर हमारे अहंकारी थे।
जंग की लपटों में जला करते थे,
मुठ्ठी में जान लिए चला करते थे।
वे महापुरुष आजाद परिंदे थे,
जिन्होंने अंग्रेजों पर कसे सिकंजे थे।
ना जाने कौन सा कर्ज चुका दिया,
देश की खातिर वीरों ने लहू बहा दिया।
लड़ी लड़ाई अपना फर्ज निभाने को,
लिए खड्ग हाथों में दुश्मन का शीश झुकाने को।
सबकी जुबां पर “जय हिन्द” का मंत्र हुआ था जी,
तब जाके अपना भारत स्वतंत्र हुआ था जी।
वंदे मातरम
शान तिरंगे की कभी कम न हो,
पहचान तिरंगे की कभी कम न हो,
हृदय में हमारे यूँ बसे भारत प्रेंम,
अरमान तिरंगे की कभी कम न हो
वतनपरस्ती के किस्से मैं क्या सुनाऊ तुझे
उनसे पूछो जिन्होंने सब कुछ गवां दिया।
सच्चा है वो सपूत जिसने
जान गवां कर सबको रुला दिया
हम सब यहाँ बैठ कर करते रहते हैं वतन की बातें
वो नौजवां हमे वतन का मतलब सिखा गया।
अखण्ड भारत का निर्माण करें
देश मना रहा है स्वतंत्रता दिवस,
मिल कर हम सब हुंकार भरें,
उदघोष कर के जय हिन्द का,
अम्बर तक जय जयकार करें।
उन क्रान्तिकारियों के बलिदान का,
मिल कर हम सब सम्मान करें,
हमेशा परचम लहराया हमने फिर,
दुनिया में रोशन हिन्दुस्तान करें।
वीर शहीदों के अधूरे सपने को,
मिल कर हम सब साकार करें,
छोड़ कर जाति- धर्म की भावना,
अखण्ड भारत का निर्माण करें,
बहिष्कार कर विदेशी सामग्री को,
मिल कर हम सब स्वदेशी चुनें,
योग जड़ी बूटियों का महत्व बताकर,
प्राचीन सभ्यताओं को सशक्त करें ।
आओ! शुभ आजादी के उत्सव पर,
मिल कर हम सब संकल्प करें,
रखेंगे साफ देश का हर एक कोना,
सम्पूर्ण भारत को नित स्वच्छ करें।
आधुनिक भारत
उठो देश के वीर जवानों
मिलकर अब सब
एक नए भारत का
हम आगाज करते।
खो रही है जो
जन-जन की सत्ता
मिलकर उसको फिर
अपने अधिकार में करते।
लूट रहे है जो
हर पल देश की इस्मत
फाड़ के सीने उनके
अब उनको सरेआम करते हैं।
उठो देश के वीर जवानों
छोड़कर अब हवस की सत्ता
देश भक्ति के रस में चूर होकर
आधुनिक भारत का निर्माण करते हैं।
हिन्दुस्तान कहता है
मंदिर कहता है, मैं हिन्दू हूं,
मस्जिद कहता है, मैं मुस्लिम हूं,
मगर ये संविधान क्या कहता है?
हम युही लड़ते रहे,
अपने अपने रूतबे के लिए,
किसी को पता है गीता-कुरान क्या कहता है?
हम घरों में ढेरों मस्तियां कर रहे,
महामारी में भी, किसी ने सुना,
देश का जवान क्या कहता है?
लाल और हरे रंग, रंग ही है,
जरा देखो तो,
राष्ट्रगान क्या कहता है?
चीख आज भी मुनासिब है गलियों को,
हरवक्त नारे बेहिसाब है, जबाब दो,
हिन्दुस्तान क्या कहता है?
स्वतंत्रता का मोल
शंखनाद कर आजादी का,
जिन मतवालों ने प्राण दिए।
देश की रक्षा की खातिर,
अपना तन मन सब वार दिए।
तिलक किया जिन वीरों ने,
अपने लहू से हिमालय को।
देकर आहुति तन की अपनी,
स्वतंत्रता का उपहार दिए।
फहर तिरंगा करता यश गान,
धरती के वीर सपूतों की।
नतमस्तक हैं हम बलिदानों पर,
इस मिट्टी पर सांसें अपनी कुर्बान किए।
धन्य है भारत भूमि,
धन्य धन्य वह जननी है।
जिनकी कोख से,
वीर सपूतों ने जन्म लिया।
रक्त का अपने कतरा कतरा,
भारत भूमि के नाम किया।।
देश मेरा
गर्वित आज लेखनी मेरी, हृदय मेरा आनन्दित है।
गौरव से भरे हैं भाव मेरे, हर शब्द देश को अर्पित है।
कला का यह है परिचायक, शून्य का है सर्वप्रथम दायक।
गिनती दुनिया को बतलाई, तारों की गतियाँ समझाई।
इतिहास गवाह सबसे पहले, सभ्यता यहाँ आबाद हुई।
राम, कृष्ण की लीलाएँ, इस देवभूमि पर ही साकार हुई।
ऋषि मुनियों की तपस्थली जहाँ, नदियों का भी सम्मान यहाँ।
हर धर्म रहे यहाँ मिल जुलकर, हर दिल में बसा है प्यार जहाँ।
सोने की चिड़िया कहलाता था, दुश्मन सदा से घबराता था।
वीरों की रही यह कर्म भूमि, शिवा -राणा की है जन्म भूमि।
जहाँ हर माता का लाल, सरहद पर जाने को आतुर रहता है।
ऐसा आलौकिक है ‘देश मेरा’, हर ख्वाब यहाँ पर सजता है।
भारत बढ़ रहा
बेड़ियाँ ग़ुलामी की तोड़,
कदम-कदम पर चुनौतियौं से लड़ रहा,
भारत देश बढ़ रहा,
भारत देश आगे बढ़ रहा।
पंथ,धर्म और जात से ऊपर उठकर,
निरन्तर उन्नति पथ पर बढ़ रहा,
भारत देश बढ़ रहा,
भारत देश आगे बढ़ रहा।
अशिक्षा, अज्ञान के अंधकार मिटाने को,
बच्चा-बच्चा देश का अब पढ़ रहा।,
भारत देश बढ़ रहा,
भारत देश आगे बढ़ रहा।
जल, थल और नभ पर,
झंडे बुलंदियों के अब गढ़ रहा,
भारत देश बढ़ रहा,
भारत देश आगे बढ़ रहा।
स्वाभिमान है देश का अब बढ़ा हुआ,
दुश्मन भी आँख उठाने से डर रहा,
भारत देश बढ़ रहा,
भारत देश आगे बढ़ रहा।
विदेशी को छोड़, अपनो को जोड़,
स्वदेशी का विस्तार अब कर रहा,
भारत देश बढ़ रहा,
भारत देश आगे बढ़ रहा।
घर-घर सड़कें और संचार सुविधाएं है पहुंची,
परचम विकास के है जड़ रहा है,
भारत देश बढ़ रहा,
भारत देश आगे बढ़ रहा।
नहीं व्यर्थ होगा शहीदों का बलिदान,
देश तुम्हारी आकांक्षाओं के
विकास रथ पर चढ़ रहा,
भारत देश बढ़ रहा,
भारत देश आगे बढ़ रहा।
ये देश यूहीं हर घड़ी नित आगे बढ़ता रहे,
ये प्रार्थना मैं भी ईश्वर से कर रहा,
भारत देश बढ़ रहा,
भारत देश आगे बढ़ रहा।
स्वदेश प्रेम
ना पूछो कितने जुल्म सहे
आज़ादी के उन मतवालों ने
देश के लिए दे दी प्राणाहुति
क्रांति की आग जलाने वालों ने
दंभ किया चूर दुश्मनों का
हुई ख़त्म गुलामी की रात
वीरों का संघर्ष हुआ सफल
तब आया स्वतंत्र प्रभात
स्वदेश प्रेम में थे वो डूबे
मातृभूमि थी माँ से बढ़कर
वतन अब तुम्हारे हवाले
कर गए सफ़र ये कहकर
हमें दिला दो आज़ादी
अनपढ़ और गँवारों से
उनके संकीर्ण विचारों से
इन धर्म के ठेकेदारों से
अब हमें दिला दो आज़ादी
देश को हैं जो बाँट रहे
प्यार में नफ़रत छांट रहे
इन सब झूठे मक्कारों से
अब हमें दिला दो आज़ादी
जो भ्रष्टाचार बढ़ाए हैं
बस कुर्सी को गरमाये हैं
इन जैसे नौकरशाहों से
अब हमें दिला दो आज़ादी
जो अपने कर्म को भूल रहे
सत्ता आसन में झूल रहे
इन सत्ता के आकाओं से
अब हमें दिला दो आज़ादी
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