हर किसी को अपने वतन से प्रेम होता है; वह दुनिया के किसी भी कोने में रहे लेकिन देश की यादें दिल में सदैव समाई रहती हैं। इसी देश-प्रेम के भाव और भारतवर्ष की महानता को कलमकारों ने अपनी कविताओं में व्यक्त किया है।
वतन ~ अरुण प्रताप सिंह
फिजा रंगीन, समा रंगीन
हर पग बदले भाषा हसीन
मोटी चमड़ी, पतली चमड़ी
लोगों की हर बातें तगड़ी
सर पर पगड़ी, कांधे गमछा
माथे केसरी टीका, लागे अच्छा
सोंधी मिट्टी, लाल मिट्टी
वतन की शान है काली मिट्टी
शस्य श्यामला, श्वेत हिमाला
वतन की धरती का रूप अलबेला
अविरल, तन्वंगी, पावन गंगा
प्यास बुझाकर कर दे जन-जन को चंगा
कश्मीर की वादी, गुजरात की खादी
जोड़े उत्तर, पश्चिम की वादी
अरुण… की लाली, कन्या… की थाली
जोड़े पूरब, दक्षिण को बोली
हुस्न तेरा अलबेला, दीवानो को कर दे मतवाला
ऐ वतन! तेरे प्यार में झूम उठे हर दिलवाला।
हिन्द सिंधु भारती के चरण को पखारता ~ दिनेश सेंगर
किरीट हिमवान का
शीश पर विराजता।
हिन्द सिंधु भारती के
चरण को पखारता।।
वीर भूमि देव भूमि
राष्ट्र ये महान है
राम के आदर्श और
कृष्ण का वो ज्ञान है
जाग जाओ आपको
कुरुक्षेत्र है पुकारता
हिन्द सिंधु ….
धर्म की कृपाण और
त्याग की कमान है
शान्ति का पंथ चक्र
प्रगति प्रधान है
भारती का राष्ट्रध्वज
आज फिर पुकारता।
हिन्द सिंधु…..
शक्तिमान, स्वाभिमान
संस्कृति प्रधान है
विश्व गुरु राष्ट्र की ये
आन वान शान है
आज हिन्द राष्ट्र का
अतीत फिर निहारता
हिन्द सिंधु भारती के
चरण को पखारता।।
हमारा हिन्दुस्तान ~ तनुजा जोशी
जिस देश के हरे भरे हैं खेत,
जिस देश के हर मानव हैं एक।
जिस देश में बहती गंगा यमुना,
काँटों में फूल खिलाती कलियाँ।
जिस देश में होती कृषि प्रधान,
पूछेंगे सब यह देश है कौन?
बोलेंगे हमारा हिन्दुस्तान।
जिस देश का गर्वोन्न्त सिर है,
जिसका रक्षक हिमगिर है।
जिसमें जन्में नेहरू गाँधी,
हिंसा की दूर भगी आँधी।
इंदिरा का जहाँ हुआ बलिदान,
हम शीश उठाकर कहते हैं,
है यही हमारा हिन्दुस्तान।
हैं जहाँ कई धर्मावलंबी,
सीमायें भी विस्तृत लंबी।
जिस देश की भाषायें विभिन्न,
विश्वास न हो तो देखो गिन।
जिसका गौरव है राष्ट्र गान,
हम गर्व से ऐसा कहते हैं,
प्राणों से प्यारा हिन्दोस्तान।
कवि हुये जहाँ महा प्राण,
जहाँ हैं कलम के सिपाही।
जहाँ हुये हर राह के राही।
जिस देश की सभ्यता महान,
हम सबसे बस यह कहते हैं,
है यही हमारा हिन्दुस्तान।
जिसकी रज चन्दन सी महके,
पक्षी गौरव गा कर चहके।
जिसका मुकुट हिमालय है,
औषधियों का जो आलय है।
जिस देश के कण कण रत्न समान,
सब पूछेंगे उस देश का नाम,
हम बोलेंगे हमारा हिन्दुस्तान।
जिसमें खिलते हैं विविध फूल,
सुरभित हैं माटी और धूल।
जिस देश के परिगत मैत्री हाथ,
दुश्मन के झुकाये सदा माथ।
अधरों में लिये हुये मुस्कान,
क्यों न कहे उस देश का वासी,
है यही हमारा हिन्दुस्तान।
जन्में हैं शिवाजी वीर जहाँ,
योद्धा महान रणधीर जहाँ।
जिसके राजीव बने पतवार,
पंजाब असम समस्याएं की पार।
जिस देश ने दिया तिरंगा तान,
हम दिखा रहे हैं दुनिया को
है प्रगति शील यह हिन्दुस्तान,
प्राणों से प्यारा हिन्दुस्तान,
स्वर्ग हमारा हिन्दुस्तान।
जय हे भारत भाग्य विधाता ~ करन त्रिपाठी
जन-गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता के क्रम (वर्णों से आरंभ ) मे लिखी एक कविता पढ़ें।
जग में जन्म लिया ग़र तो,
अब व्यर्थ गँवाओ इसे ना तुम!
नश्वर इस देह का मान रखो,
सच्चाई से ना घबराओ तुम!!
गर बाधाओं में भी डटे रहे,
भारत का मान बढ़ाओ तुम!
णत-पर्णो के पल्लव कंदर,
आशाओं के दीप जलाओ तुम!!
मन की गंगा निर्मल रखना,
आशाओं की फरियाद हो तुम!
नभ से लेकर इस भूतल तक,
विश्वास और बलिदान हो तुम!!
अब राष्ट्र के तुम निर्माता हो,
जन -जन का विश्वास हो तुम!
धिक्कार जवानी बिन भक्ति,
राष्ट्र पटल का इतिहास हो तुम!!
नालायक और पाखंडी जो,
क्रूर मनुजता के परिचायक हैं!
पाते ना कभी यश वो जग में,
ना वह इज्जत के लायक हैं!!
यह धरा ऋषि -मुनियों की है,
नित सजते यज्ञ अखाड़े हैं!
कलुषित मन को निर्मल कर दें,
ऐसे ये मुनिजन के पांडे हैं!!
जहाँ धर्मों की क्यारी -क्यारी,
उगती मानवता की फसलें!
यह धन्य धरा भारत की है,
जहाँ वीरों की टोली निकलें!!
हे ईश्वर सदबुद्धि दो सबको,
भारत की आन बढ़ाएं सब !
भारत माँ के वीर सपूत सभी,
निज धरा का मान बढ़ाएं सब!!
रजनी भी तो डरती रहती,
आशाओं की नव किरणों से!
ताकत है एकता हम सबकी ,
सब मिल राष्ट्र निर्माण करें!
भाग्य भरोसे बैठे कायर,
अब उठो सभी पुरषार्थ करें!!
ग्याता होंगे मुल्ला पंडित,
अब जागो भी नया सवेरा है!
यह धरा धाम पावन भारत,
जिज्ञाषाएं घोर अँधेरा है!!
विस्वास भरे हे धीर वीर तुम,
भारत उपवन की शान हो!
धारण कर रौद्र रूप हरो,
अज्ञान तिमिर मनुज महान हो!!
ताशीर अभी भी बाकी हैं,
खौलता रगों में रक्त अभी!
हम हिंदुस्तानी बाधाओं में भी,
ना घबराते है यार कभी!!
वतन से मोहब्बत ~ मधुकर वनमाली
वतन के जैसी मोहब्बत
न कर सकूंगा तुम्हें।
मै समझता हूं हमसफर
कि तू समझेगा मुझे
वतन से बढ़कर
ये निगाहें, ये जलवा क्या है।
तू भी एक गुल है
महकती है, मुल्के चमन में
जो कि गुलशन है, तो गुल है
बहारों का सिला है।
वतन के जैसी मोहब्बत
न कर सकूंगा तुम्हें।
तेरे मिलने से नुमाया है
थे जो गर्दिश में सितारे
पर कैसे मै न जाऊं
वतन मेरा पुकारे।
वतन की आबरू से
खेलती बदजात नजर
ये वक्त सरहदों का है
जरा सा करना सबर।
वतन के जैसी मोहब्बत
न कर सकूंगा तुम्हें।
निकल के रास्तों पे
न आना महबूब मेरे
अश्क बहते निगाहों से
तुम्हें बदनाम करे।
वतन की बेटी जो ठहरी
तू हँस के भेज मुझे
कि जंग जीत जो आऊँ
गले मिलूंगा तुझे।
वतन के जैसी मोहब्बत
न कर सकूंगा तुम्हें।
देश हमारा ~ बिभा आनंद
हिंदुस्तान देश हमारा,
अर्पण करते हैं जीवन सारा।
आओ मिलकर बचाये मुल्क को,
अपने ही देश के गद्धारों से ।
अगर होती इक बेटी बदनाम,
तो लुटती हर बेटी का सम्मान।
आओ मिलकर करे प्रण,
सुरक्षित रहे हर बेटियों का अभिमान।
आज भी ऐसे घर हैं,
जो निवालों के लिए तरस रहे।
देश की खुशहाली तभी लौटेगी,
जब ना कोई भूखा सोयेगा।
घर्म, मजहब के नाम पर
दंगे करवाये जा रहे।
राजनीति के हुंकार पर,
खुशहाली दबाये जा रहे।
अपना हिंदुस्तान ~ सोनल ओमर
दुनिया में जो सबसे महान है।
ये हमारा अपना हिंदुस्तान है।।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई,
बनके रहते हो जहाँ भाई-भाई,
एकता जिस देश की पहचान है।
ये हमारा अपना हिंदुस्तान है।।
महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी,
मंगल पांडे, लक्ष्मीबाई जिसकी
गौरवमयी इतिहास बनी शान है।
ये हमारा अपना हिंदुस्तान है।।
जिन वीरों ने अंग्रेजों के चंगुल से
देश को आजाद कराने में कर दिया,
हँसते-हँसते प्राणों का बलिदान है।
ये हमारा अपना हिंदुस्तान है।।
शरहद पर दुश्मनों को मारकर
देश के लिए सैनिक शहादत में,
तिरंगे को बनाते परिधान है।
ये हमारा अपना हिंदुस्तान है।।
कर्तव्यों का पालन करनेवाला
वह प्रत्येक इंसान देशभक्त है,
जिसकी जुबां पर राष्ट्रगान है।
ये हमारा अपना हिंदुस्तान है।।
भारतीय होने का स्वाभिमान ~ पीताम्बर ‘प्रीतम’
गैरों का आदर संस्कार हमारा,
उससे पहले खुद का सम्मान करो,
हे, भारत के रहने वाले मानव,
भारतीय होने का स्वाभिमान करो।
जिस कोख से जन्म लिया
जिस मिट्टी में खेला कूदा,
जहाँ का अन्न जल पान किया
उस भूमि का गुणगान करो,
हे, भारत के रहने वाले मानव,
भारतीय होने का स्वाभिमान करो।
भिन्न भिन्न हमारे जाति-धर्म
भिन्न भिन्न भाषा-बोली,
भिन्न भिन्न खान-पान हमारा
अनेकता में एकता का अभिमान करो,
हे, भारत के रहने वाले मानव,
भारतीय होने का स्वाभिमान करो।
हम सब भारत माँ की संताने
मिलकर देश बढ़ाना है,
नफरत फैलाने वालों को मिलकर
अच्छा सबक सिखाना है,
मातृभूमि की रक्षा हेतु ऐसा कोई अभियान करो,
हे, भारत के रहने वाले मानव,
भारतीय होने का स्वाभिमान करो।
हमारा हिन्दुस्तान ~ अर्चना शर्मा
गुल-मोर गुलिस्ता गुल बाग हमारा है,
शिव की तपो भूमि पर हर तप हमारा है,
उरी पुलवामा की शहादत पर हर शहीद हमारा है
कारगिल की चोटी पर वो तिरंगा हमारा
हिमचल पर बैठा वो बाबा अमरनाथ हमारा है
ना कश्मीर किसी का होने देंगे
ना लेह लखाद्द खोने देंगे
अमर सनातन की भूमि पर है
यह भारततवर्ष हमारा
रावण का वध स्वयं करूंगा यह कहने वाला
वो मर्यादा पुरषोतम राम हमारा है.
कौरवों के नाश करने वाला
वो माधव श्याम हमारा है .
हरीश चंद्र की भूमि पर पर
सच्चा इमान हमारा है.
चाणक्य के अर्थशास्त्र
का वो कोटिल्य हमारा.
जहाँ बुद्ध, नानक, महावीर का वंदन है
वो बापू के आदर्श हमारे है.
जँहा हर पत्थर में नंन्दन है,
जँहा हर पेड़ पर चन्दन,
मात पिता का अभिनन्दन है
वो श्रवण कुमार हमारा है.
ना यह कश्मीर तुह्मारा है,
यह लेह लखाद्द हमारा
क्या धरा क्या गगन
यह पूरा सोपान हमारा है
दुनिया को शुन्य देने वाला वो आर्यभट्ट हमारा
हिमगिर से हिन्द सागर तक यह भारतवर्ष हमारा.
विविधता जिसकी शान ~ ओमकार बडपंडा
धन्य भारतीय संस्कृति,
विविधता जिसकी शान है।
फूलों से भी सुंदर,
जिसका अतीत महान है।
मुकुट समान हिमालय,
जिसके मस्तक पर बिराजमान है।
नदियाँ जिसका गोद में ,
क्रीड़ा करता शोभायमान है।
सदा सागर जिसका ,
चरण धोया करता है।
झरना जिसके सदा,
शांति गीत गाया करता है।
जिसकी गोद मे बहती,
पवित्र गंगा माँ है।
जिसकी भूमि पर बिराजित,
मेरे चारधाम है।
ऐसा सुंदर देश,
नारी का जहाँ मान है।
ऐसे पवित्र देश को,
मेरा शत शत प्रणाम है।।
Post Code
SWARACHIT1500A | वतन से मोहब्बत |
SWARACHIT1500B | जय हे भारत भाग्य विधाता |
SWARACHIT1500C | हमारा हिन्दुस्तान |
SWARACHIT1500D | हिन्द सिंधु भारती के चरण को पखारता |
SWARACHIT1500E | वतन |
SWARACHIT1500F | देश हमारा |
SWARACHIT1500G | अपना हिंदुस्तान |
SWARACHIT1500H | भारतीय होने का स्वाभिमान |
SWARACHIT1365 | हमारा हिन्दुस्तान |
SWARACHIT1500I | विविधता जिसकी शान |