भारत और तिरंगा हमारा स्वाभिमान है

ये है हिंदुस्तान हमारा

सबसे है प्यारा, सबसे है न्यारा,
इसमें ही सबकी जान है,
सबसे ऊपर है इसका मान
ये हमारा हिंदुस्तान है..

अंग्रेजो के छक्के छुड़ाये,
सबको दिखायी अपनी शान है,
हर मुसीबत मेँ भीं लड़कर खड़ा,
ये हमारा हिंदुस्तान है..

देश सेवा का जज़्बा,
सबमे है, सबसे बड़ा,
इसपर तो सबकी
कुर्बान यूं ही जान है,
ये हमारा हिंदुस्तान है,

हिंदु, मुस्लिम, सीख, ईसाई,
सब है यहाँ भाई भाई,
रहते सब मिल जुल के
सर्वधर्म यहाँ समान है,
ये हमारा हिंदुस्तान है..

तीन रंग मेँ रंगा हुआ,
तिरंगा इसका मान है,
अशोक चक्र नीला सा,
दिलाता इसको सम्मान है,
ये हमारा हिंदुस्तान है..

कभी कम न हो इसकी शान,
कभी ना इसका मान,
सदा रहे ऊपर तिरंगा हमारा,
यही हमारी आन है,
ये हमारा हिंदुस्तान है..

स्नेहा धनोदकर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

स्वतंत्रता दिवस

पंद्रह अगस्त को हमने आजादी पाई
भारतीयों ने थी लड़ी लंबी लड़ाई
असंख्य शहीदों की कुर्बानी रंग लाई
हजारों शहीदों ने शहादत पाई

आजादी नई खुशियां लाई
हर चेहरे पर रौनक छाई
गुलामी का हुआ अंत
भारतीयों की खुशियां हुई बेअंत

आजाद भारत का सुनहरा दिन
आजादी के परवानों ने दिया जानों का बलिदान
पिया जिन्होंने शहादत का जाम
हंस कर दे दी अपनी जान
डोलने न दिया अपना ईमान
रोशन किया देश का नाम
याद रखेगा सदा हिंदोस्तान

आओ आज इस दिन को मनाएं
नई पीढ़ी को आजादी की गाथा सुनाएं
देश प्रेम के गीत गाएं
उन की कुर्बानियों का महत्व बतलाएं
नई पीढ़ी को आजादी की गाथा सुनाएं

अशोक शर्मा वशिष्ठ
कलमकार @ हिन्दी बोल India

मेरे वतन

ए मेरे एहले वतन, खिदमत में तेरी, कुल कायनात को झुका दूँ
सदका तेरे एहसानों के, मेरी सरजमीं, कतरा-कतरा लहू बहा दूँ

उठे जो आँख मेरे चमन की वादियों के बाबस्ता
कसम खुदा की उस नजर को खाक में मिला दूंँ

अग्यार जब तेरी खिलाफ साजिशों पर हो जाएंँ आमादा
वजूद उस काफ़िर सफ़-ए-दुश्मन का जहांँ से मिटा दूँ

शाम-ओ-सहर तेरी आब-ओ-हवा में साँस लेते राहत से
हर एक साँस की कसम ये जान-ओ-तन तुझ पर लुटा दूँ

शहीदों की विरासत है ये लहराता हुआ तिरंगा फ़लक पर
इसकी निगहेबानी को सर पर कफ़न भी सज़ा लूँ

मुझे अपने आप से भी ज्यादा तूँ प्यारा है मेरे वतन
बनकर पासबाँ तेरी, तेरी मिट्टी का हर इक कर्ज मैं चुका दूँ।

दिलवन्त कौर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

आजादी

घर घर में लूट मची है, भाई भाई में फूट है,
माता पिता का सम्मान नहीं है, छोटे बड़े का ज्ञान नहीं है,
मर्यादा का नाम नहीं है, बेशर्मी सब पर हावी है,
पूछ रहे हैं “गाँधी” हमसे, क्या यही वह आज़ादी है?

ना नारी का सम्मान है, ना गुरुओं का मान है,
सत्य का तो तुम नाम छोड़ो, अहिंसा का कत्लेआम है,
प्रेम का नाम नहीं है, स्वार्थ सब पर भारी है,
पूछ रहे हैं “आज़ाद” हमसे, क्या यही वह आज़ादी है?

जाति धर्म में देश बँटा है, हर कोई खून का प्यासा है,
ये मेरा है, ये भी मेरा, मन में यही पिपासा है,
ज्ञान का तो नाम नहीं है, मति सबकी मारी है,
पूछ रहे हैं “भगत सिंह” हमसे, क्या यही वह आज़ादी है?

शिक्षा का व्यापार हुआ है, अपराधों का प्रचार हुआ है,
किसानों का स्वाभिमान लुटा है, शहीदों का अपमान हुआ है,
करते हो तुम ऐसा क्यों, क्या तुम्हारी लाचारी है,
पूछ रहे हैं “नेताजी” हमसे, क्या यही वह आज़ादी है?

पढ़े-लिखे भी अज्ञानी हैं, अपराधों के प्रमाण हैं,
धर्म का छोला ओढ़े, बहुत यहाँ शैतान हैं,
वैराग्य का तो नाम नहीं है, वासना सब पर हावी है,
पूछ रही हैं “रानी” हमसे, क्या यही वह आज़ादी है?

प्यार से रहें, भाईचारे से रहें, खुशहाली से रहें,
इज़्ज़त से रहें, सत्य-अहिंसा से रहें….
यह सब होना अभी बाकी है,
कहने को तो “आज़ाद” हुए हैं,
लेकिन “आज़ादी” अभी बाकी है

हिमाँशु खर्कवाल
कलमकार @ हिन्दी बोल India

कभी विश्वगुरु कहते थे

अब पग -पग पर दु :शासन है
और गली-गली दुर्योधन है।
अब लाज बचाने वाले भी
बन जाते अक्सर रावण हैं ।
यह वही देश है जहां प्रभु,
बस इक पुकार पर आते थे।।

अब प्रेम कलंकित होता है
और हवस त्याग पर भारी है।
है कोई समर्पण भाव नहीं
बस दैहिक जिम्मेदारी है ।
यह वही देश है जहां किशन,
राधा संग पूजे जाते थे।।

जहां वृद्धाश्रम में अपनों की
पथरायी आंखें मिलती हैं।
जहां बाट जोहती शामों में
कुछ आस शेष हीं रहती है।
यह वही देश है जहां श्रवण की,
गाथाएं हम सुनते थे।।

जात-पात और सम्प्रदाय की
बढ़ रही निरन्तर खाई है।
कुर्सी लोलुपता के मद में
बेशर्मी सी छाई है।
यह वही देश है जहां
राम सिंहासन भी तज बैठे थे।।

जहां मन्दिर, मस्जिद,गिरजाघर
धन -दौलत से भर जाते हैं ।
और वहीं द्वार पर भिक्षुक भी
भोजनविहीन मर जाते हैं।
यह वही देश है जहां
राम-राज्य के सपने भी सच होते थे।
हां, यह वही देश है जिसे कभी,
हम विश्वगुरु भी कहते थे।।

तृप्ति रक्षा
कलमकार @ हिन्दी बोल India

मैं तिरंगा हूँ

मैं तिरंगा हूँ…
तिरंगे के रूप में मेरा जन्म
22 जुलाई 1947 को हुआ
इससे पहले मैं सिर्फ़ एक झ़ंडा था
हालांकि पहले भी मैं
तीन रंग का ही था
पर अब से थोड़ा भिन्न और अलग
मुझे ये तीन रंग और रूप दिया
मेरे जनक श्री पिंगली वेंकैयानंद जी ने
मेरी कहानी भी बड़ी अजीब है…
खुशी भी होती है और हर्ष भी होता है
हर मौके हर आयोजन पर
अलग अलग रूप में रहा मैं
हर प्रांत हर देश में पहुँच है मेरी
ख़ुद की अलग पहचान है मेरी
परंतु अपने देश की कहूँ तो
मान अभिमान शान शौर्य
सबकुछ बसा है मेरे
इन तीन रंगों में
अनेकता मे एकता को
प्रदर्शित करता हूँ मैं..
मेरा हर रंग स्वयं में
किसी न किसी संदेश का द्योतक है
मेरा हर रंग सदभावना और
सौहार्द का परिचायक है
मेरे सबसे ऊपर केसरिया..
साहस और बलिदान का प्रतीक है
राष्ट्र के प्रति हिम्मत और निस्वार्थ
भावनाओं का परिचायक है
सभी धर्मो के लोगों के बीच
मुक्ति और त्याग का संदेश देता
लोगों में एकता बनाने का प्रतीक
मेरे इस केसरिये रंग को
आध्यात्म और उर्जा का
प्रतीक भी माना जाता है
हिन्दू,बुद्ध और सिख सभी इस रंग को
अपने हृदय के क़रीब मानते हैं..

नीचे हरा रंग :
हरा रंग
विश्वास का..
उर्वरता,खुशहाली
समृद्धि और #वैभव का प्रतीक
उन्नति का प्रतीक प्रगति का प्रतीक..
शायद ही किसी को पता हो
दर्शन शास्त्र के अनुसार
मेरे हरे रंग को उत्सव के
माहौल से भी जोड़ा जाता है
हरा रंग पूरे देश की
हरियाली को दर्शाता है
और आँखों को सुकून भी देता है
हरा रंग जीवन के स्वास्थ्य और
सौभाग्य से भी जुड़ा होता है
यह रंग भावनात्मक रूप से जीवन में
तरक्की को इंगित करता है

बीच मेरे मेरा सफेद रंग :
शांति और ईमानदारी का प्रतीक
ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक
हमेशा सच्चाई की राह पर
चलने का प्रतीक.
मध्य जहाँ निले रंग का चक्र
सुशोभित है
जिसमें 24 आरे हैं
और जिसे सारनाथ स्थित
अशोक स्तंभ से लिया
जो ध्वज चक्र भी कहलाता है
या जिसे धर्म चक्र या
विधि का चक्र भी कहते हैं
मेरे इस चक्र में 24 तीलियाँ हैं
जो इस बात का प्रतीत है
कि जीवन गतिशील है
और रूकने का अर्थ मृत्यु
अतः जीवन हर समय
24 घंटे चलते रहना चाहिए..

हाँ मैं तिरंगा जिसके तीन रंग
न सिर्फ देश का गौरव हैं बल्की
शक्ति,उतेजना और शोर्य के परिचायक हैं
हर भरतीय का अभिमान
26 जनवरी 1950 को
पहले गणतंत्र दिवस पर
राष्ट्रीय ध्वज के रूप में
अपनाया गया मुझे…
तबसे लेकर ख़ुद पे कुछ
ज्यादा ही अभीमान होने लगा मुझे

हाँ मैं तिरंगा..
लेकिन अब देशभक्ति से ज्यादा
व्यवसाय का प्रयाय बन गया हूँ..
शौर्य से ज्यादा फैशनपरस्ती का परिचालक बन गया हूँ
गली चौक चौराहे नुक्कड़ पर
कौड़ियों में बिकता हूँ..
कभी माथे का सिरमौर था
अब जूतों चप्पलों पर दिखता हूँ
हाँ मैं बहुत दुखी होता हूँ
अपनी इस दुर्दशा पर,
अपमान भी सहता हूँ
और खून के आँसू भी रोता हूँ
अब तो बस दो राष्ट्रीय पर्वों पर ही
भूले से याद किया जाता हूँ
फिर भूला दिया जाता हूँ
खरीदा जाता हूँ फहराया जाता हूँ
कुछ पल का सम्मान मिलता है
जब लहराया जाता हूँ
लेकिन कुछ क्षण उपरांत
फेंक दिया जाता हूँ पैरो तले रौंदने को
सच टूट गया हूँ मैं अपने ही देश में
अपनो की विभिषण्ता पर

हाँ मैं तिरंगा हूँ.!
पर सच कहूँ उस क्षण
हृदय में असीम वेदना होकर भी
स्वयं पर हर्ष और गौरव
महसूस करता हूँ
जब किसी सेनानी के
अन्तिम सफर का साक्षी बनता हूँ.!
रोता हूँ पर बहुत
खुश होता हूँ मैं
जब मेरा मान बढाया जाता है
मेरे अपने वीर सपूतों द्वारा
जब मुझको वो अपनी,
उपलब्धि का साक्षी मानते हैं..

लेकिन अब कदम
कदम अपमान सहता हूँ
नोंचा जाता हूँ जलाया जाता हूँ
यहाँ तक दंगे के नाम पर
पैरों तले कुचला भी जाता हूँ
इसपर भी चलो माना
मैं मौन वाहक
कुछ कह नहीं सकता
लेकिन तुम्हारा हृदय तो
भावनाओं और अभिव्यक्तियों का
अथाह सागर है समंदर है
फिर क्यूँ मरने देते हो मुझे तुम
या स्वयं में संचित प्रवल
भावना देश भक्ति की
अभिव्यक्ति सम्मान की
ठीक है मुझे ऊँचा नहीं कर सकते
परंतु मेरी नज़रों में तुम
स्वयं को तो नीचा मत करो.!!
अगर मेरे सम्मान की रक्षा
नहीं कर सकते हो तो
झूठी देशभक्ति का दंभ
तो मत भरो
झूठी देशभक्ति का
दंभ तो मत भरो …

विनोद सिन्हा “सुदामा”
कलमकार @ हिन्दी बोल India

Post Code:

SWARACHIT1515Pये है हिंदुस्तान हमारा
SWARACHIT1515Qस्वतंत्रता दिवस
SWARACHIT1515Rकभी विश्वगुरु कहते थे
SWARACHIT1515Sआजादी
SWARACHIT1515Tमैं तिरंगा हूँ
SWARACHIT1515Uमेरे वतन

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.