कभी सीमा पर,
कभी अस्पतालो में,
कभी बीच सडको पर,
वो यूं नजर आते हैं।
छोड मां आंचल वो नित रोज सेवा पर जाते हैं।
जिनके जज्बातो के आगे नतमस्तक हिन्दुस्तान है।
वो देशभक्त, वो कर्मवीर, वो ईश्वर भगवान है।
कभी मां की लाज बचाने को,
कभी परहित जान बचाने को,
कभी शांति का मार्ग दिखाने को,
जो करते निज स्वार्थों का बलिदान है।
वो देशभक्त, वो कर्मवीर, वो ईश्वर भगवान है।
जिनके कर्मों पर करता सदा देश अभिमान है।
जिनकी क्षमताओं के आगे बोना आसमान है।
जिनके इतिहासो के आगे नतमस्तक हिन्दुस्तान है।
वो देशभक्त, वो कर्मवीर, वो ईश्वर भगवान है।
~ देवउत्तम उपाध्याय