अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस

जंगल का संरक्षण हम इंसानों का ही कर्तव्य है। वनों की क्षति हमारे द्वारा ही की गयी है। अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर इमरान सम्भलशाही की यह रचना पढ़ें।

हम सभी जंगलों में कभी रहते थे
कंद मूल, पात, फल-फूल खाते थे
हर झंझावातों को सह करके भी
सारा ही जीवन, सुखमय बिताते थे

धीरे-धीरे बुद्धिमान हो गए, जब
सही ज्ञान सीखे नहीं, देने लग गए
बिना शर्त के, हम शैतान हो गए
स्वार्थी हो, पेड़ की कटाई में लग गए

ये भी नहीं सोचा, आगे क्या होगा?
रह रहे धरती के, उन तमाम जीवों का
ख़ुद तो हम ऑक्सीजन पाते ही गए
और चिंता नहीं किए, बेटे बेटियों का

सब नाश कर दिए है, हम मानवों ने ही
बस अपने-अपने, निजी सुखों के लिए
बड़ी बड़ी भवन बना डाले, अपने लिए
छोड़ गए भावी दुनिया को, दुखों के लिए

ऑक्सीजन की कमी से, जूझ रहे सब
भूस्खलन, तेज़ बारिश व अति गर्मी से भी
काश बिताए होते पहले के, हम मानवों ने
ज़िन्दगी को साधारण व बड़ी ही नरमी से

हे मानव! जो हुआ, सो हुआ,अब सुधरो
मिलकर आ आओ, सब बृक्ष लगाएं
धरती के हर हिस्से में, विभिन्न दरख़्त से
प्रदूषण सहित जहरीली गैस शीघ्र भगाएं

वन का विकास करें, पेड़ों की पेंटिंग करें
पेड़ों को लगा लगा के, ज़िन्दगी बचाएं
गांव से लेकर शहरों की गलियों तक भी
कूड़ा, करकट, कांटें व सभी गंदगी भगाएं

नाटक करें,कविता लिखें,हरित वृक्षों पर
पेड़ों को कभी ना काटें, जंगल बचाएं
सारे जग खातिर हम सब मिलकर
बैनर पोस्टर से, सड़कों पर सुमंगल चलाएं

पेड़ बचाएं, पेड़ लगाएं, वन सजाकर
घर घर जाकर, हंस हंस के हरा रस पिलाएं
वन ही जीवन है, हरित ही जीवन है अब
हे मानव! आओ “अंतर्राष्ट्रीय वन्य दिवस” मनाएं

~इमरान सम्भलशाही

Post Code: #SWARACHIT511A , International Day of Forests 2020

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.