नारी होना कठिन है

नारी होना कठिन है

कलमकार देवकरण गंडास अरविन्दजी जी का मानना है कि नारी होना आसान नहीं बल्कि बहुत कठिन जिम्मेदारी होती है।

कोई भी काम उतना कठिन नहीं,
जितना कठिन होता है नारी होना।

सब को रखना है खुश हर हाल में,
पड़े चाहे उसको छुप छुप कर रोना।

सदा सबके काम में वो हाथ बंटाए,
उसको ही हर आशा का बोझ ढोना।

वो कर देती है खुद को पूर्ण समर्पित,
और उसे मंजूर है खुद को भी खोना।

नारी जैसा जग में कोई नहीं अरविन्द,
उसे खुद को काटकर, जग को बोना।

~ देवकरण गंडास “अरविन्द”

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