JANUARY-2021: 1) जिंदगी ~ राजीव रंजन पाण्डेय • 2) यादों का कोई मोल नहीं ~ कुमार उत्तम • 3) विरहणी कान्हा की ~ मधु शुभम पांडे
१) जिंदगी
मुश्किल इतनी बड़ी की आशा हो गई
जिंदगी है फिर भी जिंदगी से निराशा हो गई
जिंदगी को समझ न सका
तो जिंदगी बेवफा हो गई
जिंदगी का कोई भरोसा नहीं
यह मिट्टी का खिलौना है
न जाने कब छूटे कब बिखरे
यह प्रकृति का खेल है
जिंदगी जियो प्यार से
यह मिला परवरदिगार से
जब तक है जिंदगी
प्यार करो संसार से
न जाने कब छूट जाए बिखर
जाए इस संसार से
२) यादों का कोई मोल नहीं
आज अंखियों में नींद नहीं।
सुबह का चला थका हूँ,
घर से जो निकल हुँ,
छुटियां जो थी ख़त्म सब,
पढ़ने भी जाना है अब ,
घर से निकला था तब,
घर की यादें आती है अब,
आज अंखियों में नींद नहीं।
ममतामयी परछाई है,
कंधे पर बैग रखा था,
दादी ने झट हांथों पर 50 रुपिये रखा था,
कहा कुछ खा लेना,
दादा जी ने 100 देकर कहा बस किराया दे देना,
आज अंखियों में नींद नही।
आशु के घेरे है,
यादों के फेरे है,
बन्द आंखों से सब नज़र आते है,
आंखे खोलू तो ओझल हो जाते है,
आज अंखियों में नींद नहीं।
बस सबके चेहरे है,
मुझसे आशा लगाए बैठे है,
यादों का कोई मोल नहीं ।
परिवार से कोई अनमोल नहीं।।
३) विरहणी कान्हा की
जब से तुम संग प्रीत लगी है, अब न कुछ भी भाये जी।।
पिय से मिलन की आस लगी है, पिय को टेर बुलाओ जी।।
अखियां हैं दरसन की प्यासी, इनकी प्यास बुझाओ जी।।
पिय से मिलन की आस लगी है, पिय को टेर बुलाओ जी।।
जबसे खबर मिली आने की, जियरा चैन न पायो जी।।
नेह जुड़ा तुम से मेरे कान्हा, अब तो न तरसाओ जी।।
एक टक देखत राह तिहारी, ह्रदय देश में आओ जी।।।
पिय से मिलन की आस लगी है, पिय को टेर बुलाओ जी।।
रैना में आओगे प्रियतम, दिया जलाए बैठी हूं।।
फूलों के रस्ते न आना, ह्रदय बिछाये बैठी हूं।।
पलकों से ले जाऊँगी में, नैनो बीच समाओ जी।।
पिय के मिलन की आस लगी है, पिय को टेर बुलाओ जी।।