JUNE-2020: १) चुन्नी लाल ठाकुर रचित बादल • २ ) शुभा मिश्रा “कनक” रचित तुम जो आ जाते एक बार • ३) योगेन्द्र सिंह रचित शराब अच्छी या खराब
१) बादल
आसमान में असंख्य आकृतियां बनाते,
कुछ लुभाते, कुछ को बहुत डराते बादल।
कौंधती है जब बिजली इनमें,
तो वहिंगम दृश्य बनाते बादल।
गर्मी को है कम करते,
शीतल, मधुर हवा ले आते बादल।
किसानों और मजदूरों में आशा रूपी,
उम्मीद की लो जलाते बादल।
घनघोर घटा बन कर बरसते,
बसुंधरा की प्यास बुझाते बादल।
पेड़-पौधे और वनस्पतियों को,
खूब-खूब सिंचाते बादल।
नदियां, झरनों और सागरों में,
जल का स्तर बढ़ाते बादल।
~ चुन्नी लाल ठाकुर
२) तुम जो आ जाते एक बार
तुम जो आ जाते एक बार,
तो बात ही कुछ और होती
जो मैनें तुमसे कहा, तुमने मुझसे कहा होता,
तो बात ही कुछ और होती
आज दुर है हम धरती और आकाश की तरह,
कल चाँद तारो की तरह साथ होते,
तो बात ही कुछ और होती।
आज दोनों की जिदंगी कश्मकस में उलझी है,
कल दोनों एक दुसरे में उलझे होते,
तो बात ही कुछ और होती।
कभी तेरा साए की तरह साथ चलना,
कभी अंधेरे का बहाना बनाकर छोड़ देना,
जो देते तुम सांस की तरह साथ
तो बात ही कुछ और होती।
कभी मौसम की तरह बदल जाना,
कभी बादल बनकर छा जाना,
पर जो तुम होते मेरे आँखो के अश्क,
तो बात ही कुछ और होती।
तु कभी मेरी जिंदगी में नही था,
आज भी तु जिदंगी में होकर भी नही है,
पर जो तु देता जिदंगी भर साथ,
तो बात ही कुछ और होती।
~ शुभा मिश्रा “कनक”
कलमकार योगेन्द्र सिंह ने शराब के बारे में चंद पंक्तियाँ लिखी हैं और वह अच्छी/खराब है इसका निर्धारण हमपर ही छोड़ा है। हमको ही यह निश्चित करना है कि हम इससे कैसे दूरी बनाए?
३) शराब अच्छी या खराब
ऐ शराब तू अच्छी है या खराब
आज तू दे ही दे मेरी बात का जवाब।
कितने बना दिये तूने भिखारी
कितने बना दिये तूने नवाब,
ऐ शराब तू ही बता अच्छी है या खराब
सरकारी खजाने भरे तुझसे बेहिसाब,
लेकिन उस घर के बच्चों का क्या
जिसके शाम के खाने के टूट गए ख़्वाब
ऐ शराब तू ही बता अच्छी है या खराब
माना तू बुलाती नही अपने पास।
लेकिन जो तुझे पिले एक बार
फिर उसे क्यों नही आता अपना घर परिवार रास।
ऐ शराब तू ही बता अच्छी है या खराब
माना अर्थव्यवस्था की तू है धुरी
लेकिन तेरी वजह की कई घर की व्यवस्था टूटी धरी।
ऐ शराब तू ही बता अच्छी है या खराब
लोग कहते हैं तुझे पीने के बाद कम हो जाते हैं गम।
लेकिन उन्ही के घर मे, गम, ही को छोड़ बाकी,
आटा चावल चैन सुकून खुशी, सब कम।
ऐ शराब तू ही बता अच्छी है या खराब
जितना तेरे लिए लॉकडाउन में सब तड़पे।
लग रहा इसके बिना न हो पायेगा उनका बचाव।
ऐ शराब तू ही बता अच्छी है या खराब
~ योगेन्द्र सिंह