करवाचौथ प्रेम व समर्पण का पर्व है जो जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करता है। सभी माताओं व बहनों के सदा सुहागन एवं खुशहाल जीवन की कामना हिन्दी बोल इंडिया और उसके कलमकारों ने की है। आइए हिन्दी रचनाकारों की कुछ कविताएं इस पर्व को जानने के लिए पढ़ते हैं।
करवा-चौथ
सोलह श्रृंगार से सजा
करवा-चौथ का त्यौहार
माथे की बिंदी
या हो पायल की झनकार
प्रीतम के प्यार से ही
मिले खुशियाँ हजार।
सिर्फ साज-श्रृंगार नहीं
प्रेम का हैं ये त्यौहार
सात फेरो के गठबंधन से
सजी प्रेम की डोर।
सिंदूर की लाली से
अधरों की लाली तक
हर श्रृंगार में दिखे
प्रीतम का प्यार
स्नेह का ये बंधन
जोड़े जन्म-जन्मान्तर के तार।
हिना की महक
चूड़ियों की खनक से
गूंजे हर घर-बार
मुबारक हो आप सब को
करवा-चौथ का त्यौहार।
एक अर्धांगिनी
महीनों से जिसका रहता है सुहागन को इंतज़ार
आखिर आ ही गया उनका वो त्यौहार।
सजने लगे हैं चूड़ियों से हर- गली हर बाजार
देख ले आसमाँ एक सुहागन का प्यार।
पति- परमेश्वर पति ही है घर- संसार
हमेशा इसी तरह महकता रहे घर- आँगन और द्वार।
हर दर्द साथ बांटें, हर गम में सहारा मिले
साजन उसे भी ख़्वाबों से प्यारा मिले।
सजना- संवरना फिर थोड़ा सा रूठ जाना
अकेले में कितना पड़ता है उसे टूट जाना।
घर की खुशियां साथ मिले
आँगन हमेशा खुशियों से खिले।
सज गयी है मेरे गाओं की नयीं- नवेली दुल्हनें सारी
चाँद भी शरमा जाए लग रही है बहुत प्यारी।
सास- ससुर और घर में है सबकी दुलारी
पहला ‘करवाचौथ’ मना रही है इस बारी।
नाक में नथनी कितनी खूब लगे
आईने को निहारूं सिन्दूर जैसा मेहबूब लगे
हाथों में कंगन माथे का सिन्दूर चमके
छन- छन्न पैरों में आज पायल खनके।
ना कुछ खाने का आज मन करे
उम्र पिया को हमारी लगे एक ही आज रंग चढ़े।
कितना सुशोभित है आज उसका हार- श्रृंगार
थकता नहीं हूँ निहारता रहूं उसे बारम्बार- बार।
हर विपदाओं से प्रभु मेरे सुहाग को बचाना
भटक जाये हममें से कोई तो राह पर दोनों को तुम लाना।
ना इच्छा है मेरी की मुझे कोई महल ताज मिले
खुशियां सुहागिन की मुझे बरसों जैसी आज मिले।
हो रोशन हमेशा एक- दूसरे के साथ से आँगन सारा
जन्म -जन्म मिले और मिले यही हमसफर दोबारा।
तुम्ही मेरी कश्ती हो साजन तुम्ही हो मेरा किनारा
मुझ पर कोई आंच आये देना तुम मुझे सहारा।
चाँद का हो रहा छत पर बेसब्री से इंतज़ार
वोही पुरानी महोब्बत होगी नया होगा इज़हार।
सज- संवर के हुयी है एक जोगन आँगन में तैयार
बरसता रहे जीवन भर प्रेम साजन का आपार।
एक वादा करो कि उम्रभर साथ निभाएंगे
एक- दूजे को कभी नहीं रुलायेंगे।
ये विरासतें है जमाने की “नादान कलम “
वादा करो की बात कोई भी हमसे नहीं छुपायेंगे।
हमसफ़र
बंधनों से स्वर्ग तक के, साथ का है जो डगर
बस वही है हमसफ़र, हमसफर, वो हमसफ़र
श्रांत वाली ज़िन्दगी में
शांति का जो राग दे
राग के तरंग में सज
सुर का जो अलाप दे
मस्त होकर जिंदगानी
गीत गान सा चले
गान के सफर में भी
मौन, मौज़ सा पले
जिंदादिल भी हर किसी के, खूब भाए हर नज़र
बस! वही है हमसफर, हमसफर, वो हमसफ़र
सात फेरों की कसम को
संग संग निभा जो ले
हर नमाज़ की दुआ में
निकाह की वफ़ा जो ले
मांग में सिंदूर ऐसी
चांदनी भी खिल उठे
ऋतु शरद भी प्रेम से
चांद से ही मिल उठे
प्रेम भी हो रात-दिन, सुबहो शाम व दोपहर
बस! वही है हमसफर, हमसफ़र, वो हमसफ़र
दुख व सुख संग संग
धूप-छाँव उछल पड़े
शोक की लहर में एक
होने को मचल पड़े
प्यास की मिठास में
हुस्न सी जहान हो
खग विटप की साज में
पराग सी विहान हो
साथ साथ पल भी हो, उम्र में न हो कसर
बस वही है हमसफ़र, हमसफ़र, वो हमसफ़र
मौत को भी जब छुए
देह प्राण अंत मे
स्वर्ग में रहे सदा
अनंत ही अनंत में
सुख के भवन में
खुशियां रंग विरंग हो
चाहे हर पहर भी
दुख भी संग संग हो
कायनात विशाल हो या वजूद हो सिफर सिफर
बस! वही है हमसफ़र, हमसफ़र, वो हमसफ़र
———-
श्रांत:- दुखी या खिन्न
खग:- पक्षी
विटप:- पेड़
मौज़:- लहर
सिफर:- शून्य
कायनात:-ब्रम्हाण्ड
विहान :- सुबह
करवा चौथ
यूँ ना अब इंतज़ार कर तू,
ऐ चाँद, अब फलक पे आ तू
तेरी भीनी सी रौशनी में करूँ
दीदार सनम का
तुझे कसम तेरी चांदनी की,
यूँ ना तड़पा तू।
ऐ चाँद फ़लक पे आ तू
तेरी मौजूदगी में,
और सँवरती नज़र आऊंगी
अपने पिया की आँखों से
हृदय में बस जाऊंगी
यूँ न अब बेदर्द बन तू
न मुझे तन्हा बना तू
ऐ चाँद फलक पे आ तू ।।
ऐ चाँद फलक पे आ तू।।
करवाचौथ त्योहार
अपनी सुहाग की करने रक्षा,
सुहागन मनाती करवाचौथ त्योहार,
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष
चौथ तिथि को हर साल,
मनाया जाता करवाचौथ,
सुहागिनों की ये त्योहार !!
अरुणोदय के पुर्व ही,
सरगी से होती आरंभ,
प्रभात होने के संग ही,
व्रत हो जाता प्रारंभ !!
कर स्नान सोलह श्रृंगार कर,
करती संकष्टीगणेश पुजन,
निर्जला व्रत प्रेम संग रखती,
हृदय में भर स्नेह अत्यंत !!
पूजन की थाली सजाती,
करती करवा का श्रृंगार,
प्रतिक्षा चांद संग पिया की करती,
छलनी से ज्योत जला करनी दीदार !!
कर पूजा स्नेह प्यार संग,
ले साजन का आशीर्वाद,
पिता के हाथ जल ग्रहण कर,
पुरा करती करवाचौथ त्योहार !!
आदमियों का करवा-चौथ
रोनकें बाजारों में बहुत हैं,
ऊर्जा का जैसे ये स्रोत हैं,
देखा होगा बहुत महिलाओं को मनाते ये त्यौहार,
अब मेरी नजर से देखिये
ये असल में आदमियों का करवा-चौथ है।
चूड़ियाँ बेचते आदमी देखिये,
मेहंदी रचाते आदमी देखिये,
अपनी भार्या का हाथ इनके हाथों में देखिये
कुछ कर नहीं सकते, बस यही अफसोस है
देखा होगा बहुत महिलाओं को मनाते ये त्यौहार,
अब मेरी नजर से देखिये
ये असल में आदमियों का करवा-चौथ है।
साड़ी पहनते आदमी देखिये,
आभूषण बेचते आदमी देखिये,
श्रृंगार सजाते आदमी देखिये,
इनकी कातिल हंसी में स्वार्थ देखिये,
देखा होगा बहुत महिलाओं को मनाते ये त्यौहार,
अब मेरी नजर से देखिये
ये असल में आदमियों का करवा-चौथ है।
बच्चे सम्हालते आदमी देखिये,
थैले उठाते आदमी देखिये,
धैर्य से सब सहते आदमी देखिये,
सहयोग से इनका दिल ओत-प्रोत है
देखा होगा बहुत महिलाओं को मनाते ये त्यौहार,
अब मेरी नजर से देखिये
ये असल में आदमियों का करवा-चौथ है।
रिश्तों के बन्धन लाजबाब देखिये,
चाहतों के समन्दर बेहिसाब देखिये,
मजबूत होते सातों वचन एक साथ देखिये,
भावनाओं पर न कोई अब रोक है
देखा होगा बहुत महिलाओं को मनाते ये त्यौहार,
अब मेरी नजर से देखिये
ये असल में आदमियों का करवा-चौथ है।