मन की डोर को बाँधे रखना

मन की डोर को बाँधे रखना

लाख जी घबराये मन की डोर बाँधे रखना,
नैया मझधार डगमगाये धीरज बाँधे रखना,
आँधी आये तूफाँ आये अडिग अचल रहना
अँधकार में भी प्रकाश दीप जलाये रखना,
जीवन में राह न सूझे गुरुवर को याद रखना
सुख में कभी भी अपने मित्रों को न भूलना,
ईश्वर की सदैव प्रार्थना स्मरण करते रहना,
समस्त प्रकृति मानवता प्रेम बनाये रखना,
अपने से बड़े लोगों को आदर करते रहना,
गरीबों जरूरत मंदो की मदद करते रहना।

~ डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन

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