भाद्रपद की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ और हम सभी इस शुभ दिन को “जन्माष्टमी” पर्व के रूप में धूमधाम से मनाते हैं। मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व १२ अगस्त, २०२० को मनाया जाएगा, जबकि नन्दगांव में एक दिन पहले ११ अगस्त, २०२० को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते सभी त्योहार बहुत ही सादगी और पर्व नियमों का पालन करते हुए मानना पड़ेगा। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा सभी भक्तों पर बनी रहे- यही हम सबकी मनोकामना है। कवियों ने प्रभू श्रीकृष्ण की वंदना में कुछ भक्तिमय कविताएं अर्पित की हैं, आइए हम भी उनका सुमिरन करते हुए हिन्दी कलमकारों की रचनाएँ पढ़ें।
हमारा घनश्याम
सबका प्यारा मदन हमारा,
नटखट माधव झटपट चलता।
ग्वाल बाल साथ गाय चराता,
माखन-छाछ चट कर जाता।१।
ब्रज का श्याम, राम का नाम,
हरदम बनाए सबका काम।
वह नारायण, जसपाल, जनार्दन,
ग्वाला था वह नंदलाल।२।
रखता इस जग का ध्यान,
कान्हा था बचपन का नाम।
सबका राजा अपना श्याम,
रहता वह द्वारका धाम।३।
राधा मन बस उसका नाम,
भाई उसका हलधर बलराम।
हमारा पालक वह घनश्याम,
करता दानव का काम तमाम।४।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
अष्टमी तिथि है आई
घनघोर काली घटा छाई
मूसलाधार बरसती जाये
जब जन्मे कृष्ण कन्हाई
खुल गई बेड़ियां सारी
धरती में प्रसन्नता छाई
अब कंस की मृत्यु है आई
धन्य हुए वासुदेव देवकी
पुत्र रूप में आए चक्रधारी
यमुना हुई अति आनंदित
खुशी से ली अंगड़ाई
छत्र बने शेषनाग जी
कान्हा लेकर गोकुल पधारे
खुशी से झूम उठा ब्रज सारा
पालने में देख यशोदा माई
गाए सब बधाई हो बधाई
ब्रज में जन्मे कृष्ण कन्हाई
बाजे ढोल नगाड़े मृदंग
बजी चारों ओर शहनाई
भक्ति में झूमे गोपी ग्वालिन
जब -जब पापा बड़ा है जग में
तब -तब प्रभु ने लिया अवतार
धन्य हुई गोकुलधाम
गाए सब मंगल गान
जय कन्हैया लाल की
हाथी घोड़ा पालकी।
कृष्ण लल्ला
मधुर स्वरों मे छेड़े तान
बंशी बजाये मोहन गोपाल
ग्वालों संग लेकर गईयां
कदम की नीचे लेते छईयां।।
यमुना तीरे अटखेलियां करते
राधा संग रास रचाते
सुध बुध खो जाते सब
जब मिठी बोली लल्ला सुनाते।।
मईया यशोदा है घबराई
लेकर शिकायत जब ग्वालीने आई
माखन चोरी कर-कर खाये
पूछे मईया पर हँस के भुलवाये।।
सुंदर चितवन रूप देख पुरा वृंदावन हर्षाया है
लल्ला के जन्म पर चारों तरफ आनंद ही आनंद छाया है
वो देखो पालकी पर सवार मेरे लल्ला का आगमन आया है
बधाईयाँ बाटो सबको आज जन्माष्टमी आया है।।
कान्हा जन्मोत्सव
कान्हा ने जनम लियो
जगत का कल्याण भयो
देवकी से जन्मे भादों में कृष्ण कन्हाई
बचपन से यशोदा की गोदी में लीला रचाई
वसुदेव रात में यमुना पार गयो
गोकुल का कल्याण भयो
कान्हा ने जनम लियो……
ग्वाल-बालों के संग देखो माखन चुराये
मधुर-मधुर बंशी बजा के गइयाँ चराये
ब्रज की राधा से नैन लड़ो
ब्रज धाम का कल्याण भयो
कान्हा ने जनम लियो……
छोटी उंगली पर अपनी गोवर्धन उठाया
पर्वत के नीचे लाकर पूरा गाँव बचाया
इंद्र का अहम हरो
वृंदावन का कल्याण भयो
कान्हा ने जनम लियो……
माता-पिता को अपने मुक्त कराया
समुंदर के मध्य में द्वारका बसाया
कंस मामा का नाश कियो
मथुरा का कल्याण भयो
कान्हा ने जनम लियो……
महाभारत में सारथी की भूमिका निभाई
विश्व मे धर्म की स्थापना कराई
गीता का ज्ञान दियो
मानव का कल्याण भयो
कान्हा ने जनम लियो……
कान्हा ने जनम लियो….
जगत का कल्याण भयो….
कृष्ण गोपाल
यशोदा के लाल
हमारे नंदलाल
माखनलाल भरे गाल
कंस के हैं काल
जिन्हें देख नृत्य करें महाकाल।
काले काले बाल
हंस जैसी चाल
बांसुरी से,फेंके जाल
गोपियां घूमें बेहाल।
गीता के दे उपदेश
रहें अनादिकाल
ऐसे हैं हमारे
मथुरा के लाल
कृष्ण गोपाल।
श्री कृष्ण
सत्य के रक्षक
अधर्म समापक
दुष्ट विनाशी
धर्म स्थापक
हैं सुदामा सखा
सुभद्रा पूर्वज
देवकीनंदन
वसुदेवात्मज
वो पार्थसारथी
गोप गोपीश्वर
अजेय अजन्मा
श्रीहरि दामोदर
प्रेम के पर्याय
परंतु वितृष्ण
वो राधावल्लभ
हैं वही श्री कृष्ण
कृष्ण जन्माष्टमी
देवकी और वासुदेव के पुत्र कृष्ण कुमार,
अवतरित हुए द्वारिका धाम,
बोलो राधे श्याम, राधे श्याम।
हुआ जन्म कारागार में,
था भादों का महीना।
थी अष्टमी की रात अँधेरी,
सूझे कुछ भी कही ना।
कंस था यूँ परेशान कि
है काल उसका आनेवाला,
पीछे पड़ा था वो हर संतान के
बहन का जिसे होना था रखवाला।
प्रकृति ने कुछ और ही योजना थी बनाई,
ले चले वासुदेव कान्हा को
घर नंद के मथुरा ग्राम।
कान्हा पधारे नंदग्राम।
बजने लगी बधाइयाँ होने लगे उत्सव गान,
कान्हा पधारें मथुराधाम।
कान्हा की बाल लीला मनोहारी,
उनके रूप में दिखे सृष्टि की छवि सारी।
गोपियों के प्रिय, राधा के कृष्ण कुमार।
यशोदा के लाल, मथुरा के दुलारे।
आओ मनाएं उनका जन्मोत्सव,
लेकर उनका नाम।
प्रेम के प्रतीक हैं नटखट कुमार,
उनके प्रेम में डूबा मथुरा धाम।
गीता का उपदेश देकर दिया बडा ज्ञान,
उनके इस ज्ञान से बन जाये जीवन आसान।
बोलो राधेश्याम राधेश्याम।
बोलो जय कन्हैया लाल
कृष्ण कन्हैया लाल
भादौं की घनघोर भयानक, औ’ अँधियारी रात में।
वसुदेव जी लिये लाल को, भीग रहे बरसात में।
बढ़ी हुई यमुना उफान पर, घर घर शोर मचाती है।
जिसका भय प्रद स्वर सुन करके, रूह काँप सी जाती है।
है किसको परवाह जान की,चिंता किसको काल की।
चिंता तो है वसुदेव को, कृष्ण कन्हैया लाल की।
बिठा टोकरी सिर पर रख कर,चले बचाने जान को।
जो सबकी हैं रक्षा करते, उन्हीं कृष्ण भगवान को।
लीलाधर की लीला देखो, सब निर्भर जगदीश पर।
आज टोकरी में छुप बैठे, वही पिता के शीश पर।
रखे शीश पर शिशु कान्हा को, आगे बढ़ते जाते हैं।
स्वयं ब्रह्म को आज बचाने, को आकुल घबराते हैं।
घीरे-धीरे जल की धारा, उन्हें डुबोती जाती है।
प्रभु के ‘कोमल’ पद कमलों को, छूने को ललचाती है।
प्रभु के पद-पंकज छूने में, बाधा है यह बड़ी विकट।
मेरी धार बढ़ी यदि ऊपर, वसुदेव पर जीवन संकट।
अन्तर्यामी प्रभु ने पढ़ ली, कालिन्दी के मन की भाषा।
पद-पंकज नीचे लटकाये, यमुना कर पूरी अभिलाषा।
गरज रहीं घनघोर घटाएं, बरस रही जल धार प्रबल।
शेषनाग ने छाया करके, अपना जीवन किया सफल।
मनमोहना कन्हैया
बैठ के कदम्ब डार,
बांसुरी बजाते हैं वो
मन को लुभाते,
मनमोहना कन्हैया हैं
माखन चुराते कहीं,
माखन लुटाते कहीं
ग्वाल बाल संग कहीं,
खेलते कन्हैया हैं
गोकुल की गलियों में,
यमुना किनारे देखा
गईयां चराते,
मनमोहना कन्हैया हैं
यशोदा लाल हों या,
नन्द के कुमार कहो
मन को लुभावन,
मनभावन कन्हैया हैं
माखनचोर
वह शाश्वत वीर अविनाशी है, कहते हम जिसको ग्वाला
वह वासुदेव का पुत्र भी है और कहलाए है नंदलाला
है प्रेम मुझे उस ग्वाले से, पूजे जिसको हर नर नारी
उसके चरणों मे शीश नवा, वो ठहरा सबका रखवाला
मैं महाभारत की बात करूं वो धर्म हमें सिखलाता है
गीता का कुछ ध्यान जो हो वो कर्मयोग सिखलाता है
वो कहता है हिंसा है बुरी पर धर्म श्रेष्ठ है वीरों का
चुन लो तुम यात्रा कोई भी मार्ग वही दिखलाता है
कुछ कहते हैं देव उन्हें, कुछ मायावी बतलाते हैं
सुदामा को देते हैं त्रिलोक पर माखनचोर कहलाते हैं
एक भाई है क्या बहना के लिए क्या क्या वो कर जाते हैं
उसकी रक्षार्थ सभा पहुँचे फिर महाभारत करवाते हैं
कहते हैं किसे प्रेम यहाँ, ये कृष्णा ने दिखलाया है
अरे राधे के साथ लीला रची तो दर्ज़ा अमिट दिलाया है
स्त्री रक्षार्थ युद्ध हुआ गर, तो पूतना हत भी कर डाला है
हे मधुसूदन है केशव ‘ऋषि’ श्रेष्ठ धर्म दिखलाया है
POST CODE:
SWARACHIT1470A | श्रीकृष्ण जन्माष्टमी | डॉ भवानी प्रधान |
SWARACHIT1470B | कृष्ण लल्ला | सरिता श्रीवास्तव |
SWARACHIT1470C | कान्हा जन्मोत्सव | सोनल ओमर |
SWARACHIT1470D | कृष्ण गोपाल | ललिता पाण्डेय |
SWARACHIT1470E | श्री कृष्ण | आलोक कौशिक |
SWARACHIT1470F | कृष्ण जन्माष्टमी | रुचिका राय |
SWARACHIT1470G | कृष्ण कन्हैया लाल | श्याम सुन्दर श्रीवास्तव ‘कोमल’ |
SWARACHIT1470H | मनमोहना कन्हैया | विपुल मिश्रा |
SWARACHIT66 | माखनचोर | ऋषभ तिवारी ‘ऋषि’ |
SWARACHIT272 | हमारा घनश्याम | नीरव पाण्डेय |