हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले में स्थित है ‘स्पीति घाटी’। कलमकार खेम चन्द इसी प्रदेश के मूल निवासी हैं तो इस वादी को उनसे बेहतर और कौन जान सकता है। वादी-ए-लाहौल-स्पीति की सुंदरता और विशेषता खेम चन्द ने अपने शब्दों में इस प्रकार वयक्त की है।
सुन्दर, मनोरम मध्य और बाह्य पश्चिम हिमालय की लाहौल घाटी,
बहु उपजाऊ है सुखे मेवे संग आलू, मटर, जौ, ओगल के लिये यहाँ की माटी ।
स्वर्ग से लिखी गई लगता है यहाँ की भोली भाली जनता की जीवन परिपाटी,
बहुत सुन्दर है पांगी पीरपंजाल, ज़ांस्कर पर्वत मालाओं के मध्य बसी ये लाहौल-स्पीति घाटी।सुन्दर पहनावा मनलुभावन पोशाक,
ऐसा लगता है मानो यहाँ की चोटियाँ छू रही नील गगन आकाश,
चारो तरफ छाया है लेडी ऑफ केलांग, बडा शिगडी, सोनापानी जैसे महान हिमखंडों का प्रकाश।
मियार नाला, चन्द्रा-भागा का स्वच्छ मन को ठंडक पहुंचाता पानी,
युगों -युगों की इन वादियों की कहानी।
बहुत कठोर परिश्रमी है यहाँ के किसान
आलू की खेती में है विश्व जगत में अपनी पहचान।
गोंदला, त्रिलोकीनाथ, ताबो, की, ढंखर मठ है यहाँ की बहुमूल्य शान,
संसार भर से दर्शन करने आते हैं इन मंदिर, मठों में इंसान।कल-कल बहती बारालाचा से लेकर अरब सागर तक चन्द्रभागा चेनाब,
स्पीति नदी भी वादियों की गहराई को मापती सतलुज में जाकर मिलती है गांव खाब।
चन्द्रताल, सूरजताल का क्या कहना,
लाहौल-स्पीति की वादियों का है ये हार श्रृंगार का गहना।
पशु-पक्षी, जंगली जानवरों का इन वादियों में डेरा
बहुत रमणीय है लाहौल-स्पीति मेरा।विश्व का सबसे ऊंचा यातायात मार्ग मनाली-लेह यहीं से होकर है जाता,
कितना पुराना है इतिहास इसका जगह जगह है बताता।
शिक्षा की तो बात है प्रबुद्ध जनता का सर ताज,
बहु प्रतिष्ठित पदों पर विराजमान है यहाँ के भाई-बहन भी आज।
बहु संस्कृति से परिपुर्ण है यहाँ का समाज,
हर उत्सव-त्योहार का करते हैं शोभा विरासत के साथ अगाज।विश्व का सर्वोच्च ऊंचाई पर स्थित हिक्किम डाकखाना,
यहाँ के हंसमुख चेहरों के साथ देखा है हमने सादगी के साथ शर्माना।
जरूर कभी मुझे तुम वादियों फिर लाहौल-स्पीति की आबो-हवा में घुमाना,
फिर बिताना चाहुँगा पीरपंजाल और ज़ांस्कर की चोटियों पर तुम्हारे साथ एक जमाना।~ खेम चन्द
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
https://www.facebook.com/hindibolindia/posts/421152278791950
Post Code: #SwaRachit194