लक्ष्मण रेखा खींच ली पर किया क्या इसका अनुमान.
है नहीं आसान यह है नहीं आसान.
नहीं माना माता जानकी ने पार की लक्ष्मण रेखा.
देखा क्या हाल हुआ, रावण ने अशोक वाटिका में रखा.
रोते रोते राम लखन का हाल हुआ बेहाल.
तुम भी मानों बात मेरी, निकलो न घर से यार.
तोड़ो न यह लक्ष्मण रेखा, मच रहा हाहाकार.
वैश्विक महामारी कोरोना को हराना है,
हमारे घर में ही रहने से, भारत देश को बचाना है.
गर नहीं माने बात तो यह याद रखना,
खुद को भी बचाना मुश्किल हो जायेगा.
लाकडाउन का रखों ख्याल, जीवन बने बेमिसाल.
लक्ष्मण रेखा ना तोड़ो यार, जीवन बन जाएगा बेकार.
~ डॉ कन्हैयालाल गुप्त ‘किशन’