जरा दूरियां रहने दो

कलमकार अनिरूद्ध तिवारी की एक रचना पढें जिसमें वे लिखते हैं कि प्यार में थोड़ी दूरी बनाए रखिए। वैसे भी विरह और दूरियाँ प्रेम को और मजबूत करतीं हैं।

इतना भी करीब होना ठीक नहीं!
जरा दूरियां रहने दो!
बादलों को हटने का इंतजार करो,
तब खुला आसमान दिखेगा
खामोश रहकर, समझो प्रेम को
अनुभूति करो, लफ्जों को
समझो ख्यालतों को
मन को विचरण करने दो
पहुंचने दो उसे, जहां पहुंचना है
जब समझ में आ जाए, इश्क क्या है?
तब ठहर जाना
रोक लेना अपने आपको!
संभाल लेना अपने फड़फड़ाते पंख को,
और स्वतंत्र हो जाना अपने खयालो से।

~ अनिरुद्ध तिवारी


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