बिन प्यार सब रंग फीका है

बिन प्यार सब रंग फीका है

हमने तो बस यही सीखा है,
बिन प्यार सब रंग फीका है।
दिल से दिल जब मिलता है,
प्यार का रंग तब खिलता है।

खाके झूमे सब भांग धतूरा,
बिन प्यार सब रंग अधूरा।
प्यार के रंग में रंग जाना है,
दुश्मन को भी गले लगाना है।

जब सरहद पे गोली चलती है,
तब दिल में ही होली जलती है।
प्यार की पिचकारी चलती है,
तभी सुकू से हर माँ सोती है।

कचरा जला दिए हो होली में,
लेकिन मैल बसा है बोली में।
ये कैसा तुझ पर रंग चढ़ा है,
पी कर सड़क पे गिरा पड़ा है।

इसका तो कुछ तात्पर्य नहीं है,
ये बिल्कुल तेरा कर्त्तव्य नहीं है।
जब सर पर रंग प्यार चढ़ेगा,
तब ही हर कोई गले लगेगा।

प्यार के रंग में रंग जाओ तुम,
सबको गले लगाओ तुम।

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