कोरोना से जीतने के लिए शीला झाला ‘अविशा’ का संदेश इस कविता में पढ़ें।
हंस रही थी जिंदगी आंगन और गलियों में
खिल रहे थे फूल नवयौवन से बगिया की कलियों मे
आ गया पिशाच अकस्मात जिसका नाम था कोरोना
निवेदन है आपसे आप लापरवाही करो नानिबोध जीवों की पीड़ा आज समझ है आई
चारो तरफ देखो कोरोना महामारी जब छाई
कोरोना को समझाने के लिए शब्द थे कम
समझाने से समझ ना आया नादान थे हमचारो तरफ घर पर रहे सुरक्षित रहे की की अपील यह छाई
जल्द ही मिट जायेगा कोरोना ऐसी सुखद सूचना ना आई
खुशहाल थी जिंदगी आबाद थे हम
छेड़खानी प्रकृति से आज बर्बाद है हमअभिमान था मनु को वह है सबसे बड़ा
पश्चाताप है लेकिन आज मौत के द्वार पर जो खड़ा
कहती हैं ‘अविशा’ हो जाओ कैद घरों में ही रहना मात्र यही है उपचार
अन्यथा बरसेगा कहर कोरोनावायरस का हो जाओगे लाचार~ शीला झाला ‘अविशा’