दीप जलाएं

दीप जलाएं, शंख बजाएं,
कोरोना को दूर भगाएं।
घर पर रहे, करें न मनमानी,
आंगन को बुहारें,
फूल व पौधों को दें पानी,
हर क्यारी में रंग रंग के सुन्दर सुन्दर फूल खिलाएं।
दीप जलाएं शंख बजाएं, कोरोना को दूर भगाएं।।

कोई भूखा प्यासा जो दिखे,
उसकी परेशानी हम बांटे,
कट जाएंगे उसके दुःख भी
कट जाएंगी अंधेरी रातें,
आपको दिल से वह मनुष्य तब देगा ढेर दुवाएं।
दीप जलाएं शंख बजाएं, कोरोना को दूर भगाएं।।

भय घबराहट चिंता सबको
दिल से सब निकाल फेंको,
बीबी कैसे काम है करती
आप भी करके खूब सीखो,
अच्छा अच्छा बनाके व्यंजन बीबी बच्चों को खिलाएं।
दीप जलाएं शंख बजाएं कोरोना को दूर भगाएं।।

बच्चों को दें गृहकार्य
पद पहाड़ा संख्या रटवा दें,
रामायण और महाभारत की उन्हें
कहानी खूब सुना दें,
इसी तरह से रहें घरों में बच्चों के संग मन बहलाएं।
दीप जलाएं शंख बजाएं कोरोना को दूर भगाएं।।

गरमागरम चाय को पिएं
पानी गरम कर करें गरारा,
घर में रहकर खाकर पीकर
हो शतायु सुख जीवन सारा,
‘अनाम’ की इन बातों को मन‌ में गुनें सुनें अपनाएं।
दीप जलाएं शंख बजाएं कोरोना को दूर भगाएं।।

~ त्रिपुरारी शर्मा ‘अनाम’


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