सुरा के सूर

सुरा के सूर

जब से लॉक डाउन हो गया मेरा मन बेचैन हो गया।
होगा कैसे व्यतीत ये क्षण कैसे कटेगे मेरे ये दिन।।

सुरागार जब बंद हो गए जीवन कैसे चल पाएगा।
किन्तु धीमे धीमे मंद गति से लॉक डाउन कट जाएगा।।

लॉक डाउन की आदत पड़ गई मदिरा की बेचैनी छूट गई ।
तभी सरकार ने कदम बढ़ाया सुरागार को शुरू कराया।।

तलब थी सुरा की मन में सुरालय जा पहुंचा मै।
राशन था जो बच्चो का उसे जा बेचा मै।।

पी सुरा जब घर लौटा मै कुछ क्षण में ही नशा उतर गया था
मेरे बच्चो ने राशन के बिन दम तोड़ दिया था।।

सुरा की तलब से अब मै पछता रहा हूं, बच्चो के मातम पर आंसू बहा रहा हूं ।
करके निवेदन आप सभी से, सुरा ना पीने को, पश्चाताप निभा रहा हूं।।

~ नीकेश सिंह यादव

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