भागती दौड़ती जिंदगी
अचानक से
थम गयी है
एक ठहराव सा
आ गया है
जरूरतें नगण्य है
बस कुछ कपडे
दाल रोटी
और एक घर
एक सन्तोष
सा महसूस हो रहा
बीच बीच में
शंखनाद के साथ
माता का अभिषेक
एकअजीब सा सुकून
दे रहा
बरसों बाद
एक सात्विक
जीवन
सब जी रहे हैं
अपनो संग
छोटी छोटी
खुशियों
साझा करते लोग
सचमुच असीम
शन्ति और
अलौकिक
सुख की अनुभूति है।
~ सविता मिश्रा