कुदरत ने आज आईना दिखाया है।
संभाल के रख इंसान अपने कदम,
पर्वत के जैसे ठहरी है जिंदगी,
चट्टानों सी स्थिर है जिंदगी।
यह अजीब सा सन्नाटा चहू ओर छाया है।
कुदरत ने आज आईना दिखाया है|
हमारी संस्कृति को आज फिर से हमने अपनाया है।
सारी आदतों को हम ने दोहराया है।
बाहर से आकर मुंह हाथ धोना,
फिर घर में प्रवेश करना,
मांसाहार को ग्रहण नहीं करना।
इन सारी बातों से हमें रूबरू करवाया है।
कुदरत ने हमें आईना दिखाया है।
है परेशान तू इस लॉक डाउन से,
पर इसने तुझे तेरे परिवार से मिलवाया है।
जिसके लिए तूने दिन-रात बाहर रहकर मेहनत की,
आज उसके साथ तुझे समय बिताना है।
माना आजकल स्कूल, कॉलेज, दफ्तर सब बंद है,
सब एक जगह स्थिर है,
कोई अपने परिवार से दूर है,
तो किसी की जिंदगी इस कोरोना ने ली है।
लेकिन इस देश में इसे फैलने से हमें बचाना है,
कोरोना को हमें हराना है।
खुद को लॉक डाउन रखना है
हमें अपने घरों में रहकर,
कोरोना को दूर भगाना है।
~ रेणुका कुशवाहा