हे राम प्रभु तुम आ जाओ ना
बड़ा दर्दनाक है मंज़र
इन्सानियत घूम रही ले खंजर
हे राम प्रभु तुम आ जाओ ना
चहुंओर ओर छाई है विरक्ति
सब कहते हैं मेरा धर्म मेरा जहांन
पर कोई ना कहता मेरा आर्यावर्त महान
निशब्द सी है वेदना ना है कोई उक्ति
हे राम प्रभु तुम आ जाओ ना
राम राज्य तुम ला जाओ ना
व्यथित हे हृदय मेरा हलक में सुख रहे हैं प्राण
धर्म के नाम पर ना बंटो तुम
मानवता के नाम पर ना कटो तुम
कह दो ना तुम एक बार मेरा भारत मेरी जान
राष्ट्र पर ना शास्त्रार्थ कर
छोड़ धर्म की श्रेष्ठता
पा लो ना तुम मानुषता
राम सा पुरूषार्थ भर
इस विद्वेष के रावण को तुम मिटा जाओ ना
हे राम प्रभु तुम जग में आ जाओ ना
~ शीला झाला ‘अविशा’