हिन्दी कलमकारों ने प्रभु श्रीरामचन्द्र जी को प्रणाम करते हुए इन पंक्तियों को लिखकर हम सभी के बीच प्रस्तुत किया है, आइए इन काव्य रचयिताओं के विचारों को पढ़ें।
राम सिर्फ़ नाम नहीं
राम सिर्फ़ शब्द नहीं
राम सिर्फ़ भाव नहीं
राम सिर्फ नाम नहीं
राम सिर्फ़ राम नहीं
राम प्रतीक हैं मर्यादा का
राम धोतक हैं समर्पण का
राम प्रतिमूर्ती है त्याग का
राम मानक हैं बलिदान का
राम से न कोई बड़ा हुआ
न राम से कोई आगे हुआ
राम से न कोई पहले हुआ
न राम के कोई बाद हुआ
राम श्री हैं राम श्रीकंठ हैं
राम तुलसी हैं निलकंठ हैं
राम स्वयं शंतो के शंत हैं
राम श्रीमुनि कथा अनंत है
राम निश्चय ही ईश्वर हैं
फिर भी राम हम सब में हैं
राम हर जोत हर किरण में हैं
राम का अर्थ ही ‘प्रकाश’ है
‘रा’ का अर्थ है आभा
यानि कांति
और ‘म’ का अर्थ है मैं
यानि मेरा और मैं स्वयं
अतः राम का अर्थ है
मेरे भीतर प्रकाश
मेरे ह्रदय में प्रकाश
अतः राम हर जन मन में हैं
राम कण कण में है..
राम हर क्षण में है
हर के हर क्षण में
एक ही नाम
जय श्री राम
जय श्री राम.!!
राम
वर्षों से कर रहे प्रभु
टैंट में इंतजार थे
कोर्ट कचहरी में चल रहे
व्यंग के प्रहार थे
सत्य असत्य के बीच देखो
निकला सुलभ सुगम परिणाम
कहो भाई राम राम राम
सीता राम राम राम
लोगों की खुशियों का आज
कोई ठिकाना नहीं
दूर रहो ए खुशियों के दुश्मन
नजर खुशियों को लगाना नहीं
रौनक लगी आज हर गली गली में
पूरी चमकी अयोध्या धाम
कहो भाई राम राम राम
सीता राम राम राम
जन-अभिलाषा राम-मंदिर
मन अति भाव-विह्वल हो रहा
ह्रदय तार भी झंकृत हो रहा
एक पल को विश्वास नही कि
सदियों का स्वप्न साकार हो रहा
सैकड़ों वर्षों की ये तपस्या है
हजारों मानव आहुतियाँ है
क्रांति की लौ जलाये रखने को
खोयी न जाने कितने विभूतियाँ है
आज जन-अभिलाषा का मान हुआ है
कृत्रिम समस्या का समाधान हुआ है
मंदिर वहीं बनेगा अब, जहाँकभी
प्रभु श्रीराम का जन्मस्थान रहा है
यह तो अभी प्रारम्भ हुआ है
भूमिपूजन ही संपन्न हुआ है
मंदिर बनना तो अभी शेष है
पर सोच-सोच मन प्रसन्न हुआ है
जब भी राम-नगरी से गुजरते
तब ही उनको टाट में पातें
अपने आराध्य को घर कैसे दूँ
यहीं सोच अपनी विवशता पे रोतें
ह्रदय बहुत ही दुखता था
पीड़ा ये असहनीय था
हम तो घरों में सुख-चैन से रहते
प्रभु को रहने को टाट ही था
जिनके नाम से है पहचान
उसी नगरी उनका ये कैसा मान!
आज भूल सुधारा है हमने
क्षमा करो हमें हे भगवान !
जय श्रीराम! जय श्रीराम!
मेरा क्या मुझमें सब तेरे ही नाम
मुझमें राम, तुझमे राम
जग में राम, कण-कण में राम
सीता माता महिमा
आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है आज अयोध्या मे राम मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास होगा सभी धर्म प्रेमियों को हार्दिक शुभकामनाएं। इस शुभ अवसर पर सीता मैय्या के चरणों मे काव्य रुपी पुष्प अर्पित कर रहा हूँ।
जग जननी सीता माता तुम्हें प्रणाम
सारा विश्व करे तेरा गुणगान
तेरी महिमा का करे बखान
पतिव्रता सतित्व तुम्हारी पहचान
नारी जाति का बढाया मान
जनक नंदनी मिथिला की प्यारी
छवि तुम्हारी बडी ही न्यारी
मिथिला की लाडली राजकुमारी
माता सुनयना पिता जनक की राजदुलारी
राजा जनक ने स्वंयवर रचाया
बडे बडे राजाओं को बुलाया
अयोध्या का राजकुमार ऋषि विश्वामित्र अनुज लखन संग आया
शिव का धनुष तोडना थी एक शर्त
राजा जनक ने लिया था ब्रत
राजाओं ने जोर लगाया
कोई उस धनुष को तोड़ नहीं पाया
मिथिला नरेश का दिल भर आया
ऋषि विश्वामित्र के आदेश पर
प्रभु राम ने शिव धनुष को तोड़ा
मिला चंद्र चकोर का जोड़ा
जनकपुरी से छूटा नाता
अवधपुरी से जोडा
कोमल थी वो कली
महलों मे वो पली
वनवास को चली
पतिव्रता थी वो नारी
वनगमन की करी तैयारी
राम ने उन्हें बहुत समझाया
माता सीता ने पत्निधर्म निभाया
पत्निधर्म की रखी लाज
त्याग दिया महारानी का ताज
वनवास मे सदा रही साथ
थामै रखा प्रभु का हाथ
रावण ने सीता का अपहरण किया
गिद्दराज जटायु ने पापी का सामना किया
लड़ी रावण से भीषण लड़ाई
जटायु ने अपनी वीरता दिखाई
अंत मे जटायु ने वीरगति पाई
लंका मे सीता ने आत्मबल दिखाया
लंकेश का हर प्रलोभन ठुकराया
त्रिजटा ने सीता को बेटी बनाया
हर तरह से माता सीता का मनोबल बढाया
राम ने लंका पर की चढाई
वानरों की मदद से छेड़ी लड़ाई
अंत मे लंका पर विजय पाईं
सीता मैय्या ने दी अग्नि परीक्षा
पूरी की विधाता की इच्छा
अग्नि परीक्षा मे सफल रही सीता
निष्कपट हो कर निकली सीता
हर चुनौती को हस हस कर झेला
वीर लव कुश की तुम माता
धरती पुत्री विशेष था नाता
मैय्या गुणगान करूं तेरा सुबह शाम
हे माता तुम्हें प्रणाम
मंदिर मेरे राम का
हजारों शीश देकर
ये वक्त आया है
मंदिर मेरे राम का
अब बन पाया
नहीं ये कोई हार या जीत का मसला
जो खोया था कभी
वो आज सबने पाया है
नहीं कोई अभिमान मेरे राम है सिखाते
वो तो जीती हुई लंका भी
विभीषण को दे है आते
किसी का घर भी उजाड़ दे
ऐसे मेरे राम नहीं
तभी तो कई साल त्रिपाल में रहे बिताते
मगर मिसाल तो तब होती
कुछ लोग कोर्ट ना जाते
और मंदिर की हर ईंट
हर धर्म के लोग आ कर लगाते
हुआ जो अब तलक
कुछ भी अच्छा या बुरा
भुला देना होगा हमे हर गिला शिकवा
पैगम्बर – ए – हिंदुस्तान के लिए।
सृष्टि नियंता राम
आज जुडा़ इतिहास में, नूतन स्वर्णिम सर्ग।
तीर्थ अयोध्या घाम में, जैसे उतरा स्वर्ग।
शिलान्यास की शुभ घड़ी, भक्तों में उल्लास।
अद्भुद, अनुपम, भव्यतम, होगा राम निवास।
भजन, कीर्तन, शंख ध्वनि, घर-घर मंगल दीप।
नयन बसी छवि राम-सिय, हिय में प्रेम प्रदीप।
राम-जानकी लक्ष्मण, पवन तनय हनुमान।
अवध नगर पुनि आइये, कृपा सिंधु भगवान।
चरण-कमल हैं धो रहे, सेवक हनुमत वीर।
राम-जानकी के चरण, पावन सरयू नीर।
द्वार-द्वार मंगल कलश, दीप आरती थाल।
तोरण, वंदन वार नव, स्वागत द्वार विशाल।
शांति, सुमंगल, मोक्ष प्रद, अवध पुरी शुभ धाम।
जहाँ विराजीं जानकी, सृष्टि नियंता राम।
बस राम ही राम
कण कण राम
रोम रोम मे राम
धरा गगन बहती सरिता के
पावन धराओ मे राम
मन मे राम
आत्मा मे राम
मधुर स्वरो मे राम
प्रेम मे राम
त्याग मे राम
विश्वास मे राम
करुणा मे राम
वादन मे राम
शांति मे राम
पुण्य मे राम
एकता मे राम
आशाओं मे राम
प्रारंभ मे राम
अंत मे राम
चेतना मे राम
सृजन मे राम
तपस्या मे मे
धैर्य मे राम
प्रगति मे राम
शक्ति मे राम
भक्ति मे राम
निस्वार्थ मे राम
सत्य मे राम
दुःख मे राम
सुख मे राम
तुम मे राम
मुझमे राम
हम सबमे राम
जिधर देखो वही राम
जय सिया राम
हिन्दी बोल india बहुत ही प्रेरनामयी मंच है जहाँ पर सभी जगह से रचनाकारों, कवियों, लेखकों को अपनी अपनी स्वरचित रचनाकारों को प्रस्तुत करने का मौका मिलता है। साथ ही नये नये कलमकारो को भी अपनी रचनाएँ इस मंच पर प्रस्तुत करने की प्रेरणा मिलती है।