घनघोर अज्ञानता के अंधेरे में डूबा है संसार
छल कपट भरा सबके मन में भूल गए प्यार
क्यों ना आए बताओ जलजला प्रकृति में
जब जी रहा हर इंसान अपने ही स्वार्थी में
अपने मन को खुश करने के लिए बस
दूसरे जीवो के गले पर रख रहा तलवार
घनघोरअज्ञानता के अंधेरे मे डूबा है संसार
छल कपट भरा सबके मन में भूल गए प्यार
त्राहि-त्राहि मची संसार में डर गया इंसान
अब तो लो अवतार हे मेरे प्यारे भगवान ।।
~ महेश राठौर सोनू