जीवन में हार और जीत किस कद्र जरूरी होती है यह सभी जानते हैं लेकिन हारना कोई नहीं चाहता। कलमकार मुकेश बोहरा अमन की कविता में हार और जीत का वर्णन पढ़ें।
जिनके थे,
बेजान इरादें,
वो बाजी फिर हार गए ।
जिनके था,
संकल्प जीत का,
वो जीते सब पार गए ।।कहां से आती जीत हाथ में
कहां से आती हार ।
खुद से आती जीत हाथ में
खुद से आती हार ।।जुनू नहीं था,
जिनमें बिल्कुल,
वो नखरे बेकार गए ।
जिनके था,
संकल्प जीत का,
वो जीते सब पार गए ।।जिसने ठाना कर दिखलाया,
उसने हर मंजिल को पाया ।
भाग्य कोसना “अमन “छोड़कर,
दृढ़ संकल्पों को अपनाया ।।जिन सपनों में ,
जान भरी थी ,
वो सपने साकार गए ।
जिनके था,
संकल्प जीत का,
वो जीते सब पार गए ।।~ मुकेश बोहरा अमन