साक्षी सांकृत्यायन की यह रचना मन की वेदना वयक्त करती है। वह वेदना जिसे हम सभी किसी अन्य से साझा करना चाहते हैं और उससे कभी प्यार का एहसास होता है तो कभी पीड़ा।
अब नहीं चाहता कोई सुनना,
मन के पीर की आज वेदना
कहीं खो जाऊँ अपनी संवेदना,
प्रेम भाव ही करुण वेदना।सुंदर, सरल होता है सपना,
प्रेम से सुंदर कहीं भी कुछ ना
क्षण पल भर में टूटे हर सपना,
प्रेम भाव ही करुण वेदना।अधिक प्रेम हो जाती वेदना,
मुश्किल होता कुछ भी कहना
तरुण हृदय में पनप गई अब,
प्रेम भाव की करुण वेदना।होती है सब मन की भावना,
कभी प्रेम या कभी वेदना
मन का प्रेम ही बन जाता है,
कोमल हृदय की करुण वेदना।इस टूटे मन का तन्हा होना,
अधिक ही मन का कोमल होना
हृदय का अक्सर दर्द झेलना,
प्रेम भाव की करुण वेदना।मन का अक्सर व्याकुल होना,
सुनो कभी जब हृदय वेदना
व्यथित हुआ मन कहता है ये,
प्रेम भाव ही करुण वेदना।मन अब और न सह पाएगा,
मुझमें भी अधिक नहीं संवेदना
दुःखों का कारण होता ही है,
प्रेम भाव की करुण वेदना।~ साक्षी सांकृत्यायन
इस कविता पर कलमकार अनिरुद्ध तिवारी की समीक्षा
लेखिका साक्षी सांकृत्यायन की कविता “प्रेम भाव ही करूण वेदना ” पढी, उन्होंने उत्कृष्ट रचना लिखी है। चलिए आज साक्षी सांकृत्यायन जी के विचारों को अपनी समीक्षा के माध्यम से आप सबों के सामने प्रस्तुत करता हूं।
लेखिका अपनी कविता के माध्यम से बताती है कि हमारे विचारों को, भावों को, एहसासों को कोई भी सुनना समझना नहीं चाहता जो हमारे अंतर्मन का भाव है वही हमें खुशी एवं दुखी रखता है, जिसे हम समझना ही नहीं चाहते। वह बताती है कि प्रेम व्यक्तित्व एवं विचार का सर्वोत्तम रूप है, जिससे हम दूसरों के प्रति विश्वास और समर्पण का भाव रखते हैं।
जब कभी हमारी भावनाएं दबी रह जाती है या जब कभी हम जानकर भी खामोश रह जाते हैं तब हमारे अंतर्मन को समझाने प्रेम रूपी ज्योति आती है जो हमारे हृदय में पहले से ही बैठी रहती है। जब हम कभी अकेला महसूस करते हैं या मन अक्सर व्याकुल होता है तब स्वयं को स्वयं से समझाने में हमारे हृदय में बसे प्रेम का अहम किरदार होता है। अंत में वह बताती है कि विचारों के तालमेल में अक्सर हमें कभी प्रेम का एहसास और कभी पीड़ा दोनों के रास्ते से गुजरना पड़ता है। उत्कृष्ट रचना के लिए साक्षी सांकृत्यायन जी को हृदय से साधुवाद!
साथ में हिन्दी बोल इंडिया को शुभकामनाएं! जिसके मंच के माध्यम से रचनाकारों को हमेशा सीखने को मिल रहा है। हिंदी साहित्य के क्षेत्र को शिखर तक पहुंचाने में हिन्दी बोल इंडिया का एवं रचनाकारों का सराहनीय योगदान है!
आपका अपना
~ अनिरुद्ध तिवारी