इश्क के जल्लाद

इश्क के जल्लाद

इश्क के नाम पर धोखा और फरेब का तो जैसे चलन ही हो गया है। खेम चन्द ने अपनी कविता में कुछ ऐसी सलाह दी है जो मतलबी प्रेम से सावधान करतीं हैं।

हर राह पर मैंने हवस का शैतान देखा है,
इंसान में ही सबसे बड़ा हैवान देखा है।

आज़ के आधुनिक युग में
माँ, बेटी, बहन, अर्धांगिनियों को परेशान देखा है।
मानसिकता का गिरा हुआ मकान देखा है,
इंसान के भेष में मैंने शैतान देखा है।

दूश्वार हो गया है
घर से बहनों का अकेले निकलना।
हवसीयों का ये जमाना हो गया,
घटनाओं का दिन दर दिन
बढ़ता हुआ पैमाना हो गया है।
पहले मासूमियत से बातें इश्क में
दुख तकलीफ़ की चार करेगा,
फिर हवस भरी निगाहों से शिकार करेगा
शैतान है हैवान है झूठा प्यार करेगा।
बिस्तर पर हवस मिटाने के लिये श्रृंगार करेगा,
हैवान है हैवानियत से फिर किसी पर वार करेगा।
इंसान के भेष में मैंने शैतान देखा है।

छोड़ देते हो माँ-बाप को इश्क में सभी।
जब हादसा हो जाये
बातें माँ बाप की याद आती है तभी।
हैवान है यहाँ हर राह पर बैठे
अकेले में घात लगाये सभी।
रूह से मोहब्बत को जानकर कहीं खो गये।
ये हैवानों के संसार में
बीज जिस्म की नुमाईश का बो गये।
इश्क में जिस्म के हवसी शैतान हो गये।

नादान हो तुम अभी
इश्क की बातों को समझ न पाओगे।
हवस के शिकारी है ज्यादातर छिपे यहाँ
तुमको ही ये रूलायेगे।
पढ़ो लिखो फिर इश्क कर लेना,
वादा रहा कोई कद्र जिस्म की
करने वाला हमसफर पाओगे

~ खेम चन्द

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.