सज चुकी है,पाखण्ड की प्रयोगशाला
लेकर गुरुवर की नाम की
पहनकर अध्यात्म का चोला
छिपा रहें हैं, अपनी अज्ञानता और असफलता
न इनका कोई लक्ष्य, और न कोई उद्देश्य
युवाओं को भटकाना इनका एकमात्र लक्ष्य हैं
खिंचते है चित्र भी, और बनाते चलचित्र भी
दिखती हैं संवेदना इनकी सोशल मीडिया पर
जी रहे हैं भर्म में, भागकर यथार्थ से
उड़ रहा मज़ाक है, हैं क्रान्ति विचार की
जो फ़स गया है, बाबाओं के विवाद में
आओ मिलकर उजागर करे, पाखण्ड के सरदार को
~ राहुल कुमार वर्मा