पारिवारिक रिश्तों के पात्र

पारिवारिक रिश्तों के पात्र

नाना

रूबीना कौसर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

नाना जी, ओ मेरे प्यारे नाना जी।
सबसे प्यारे और सबसे न्यारे मेरे नाना जी।
महानो में महान है, मेरे नाना जी।
हमारे अभिमान है, मेरे नाना जी।
जीने की सलीका सिखाने वाले और
मुझे सही गलत की पाठ सिखाने वाले हैं, मेरे नानाजी।
सच मानो तो मेरे आदर्श है, मेरे नाना जी।

जब भी हम असफल होने लगते हैं,
तो नाना जी हम आपकी बातें याद करने लगते हैं।
जब भी हारते हैं मुश्किलों से हम,
तो हमें नाना जी आप बहुत याद आते हैं।
आपके बताये अनुशासन पर चलकर
हम हर मुश्किलों से जीत जाते हैं।
आप जो मेरे पे इतना भरोसा दिखाते हैं।
हम बस आपके उसी भरोसे को
याद करके आगे बढ़ते जाते हैं।
और सफलता के करीब पहुंच जाते हैं।

जिस व्यक्ति से भी सीख मिलती है,
मुझे आप की छाया उस व्यक्ति में नजर आती है।
यह बात सच है कि हर जगह
आपकी ही दी हुई शिक्षा काम आती है।
आप गुरु की ही तरह हमें सब कुछ सिखाएं।
जीवन के इस कठिन राह में अनगिनत पाठ पढ़ाएं।

इस पूरे दुनिया में आप जैसा कोई नहीं।
आप में जो बात है मेरे नानाजी,
वो और किसी में वह बात नहीं।
कुछ तो अच्छे कर्म किए होंगे
हम भाई-बहन जो आप जैसे नाना जी का सुख पाए।
दुनिया के सब लोगों के लिए ये दुआ है
कि आप जैसे ही नानाजी पाए।
हमारी तरह उन लोगों का भी जीवन धन्य हो जाए।।

माँ

कन्हैया कुमार
कलमकार @ हिन्दी बोल India

माँ तुम कितनी प्यारी हो,
सारे जगत से तू न्यारी हो।
कितने कष्ट से तू मुझे नॉ माह तक कोख में पाली हो,
स्वंय कष्ट सही पर मेरे एक बूंद न आँसू गिरने दी हो।

खुद भींगे तल पर सोती रही,
पर मुझे आँचल से ढकती रही।
जब कभी मेरी आँख आँसू से भर जाती,
तू मुझे बांहों का झूला बना झुलाया करती।

थोड़ा बड़ा हो मैं जब आँगन में खेला करता,
छुप-छुप कर देख तेरा मन मुस्कुराया करता।
तू मुझे ऊँगली पकड़ कदम बढ़ाना सिखाई,
मेरी शिक्षिका बन शिक्षा का पहला पाठ पढ़ाई।

बड़ा हो जब मैं बाहर जाता मुझे ऊपर मन से विदा करती,
बेटे कब तू लौटेगा यह सोच तू मेरी राह निहारती।
विवाह बंधन बन्ध वही पुत्र पत्नी को तरजीह देता,
माँ के कर्मों को भूल पत्नी का गुलाम बन जाता।

अपने पैर खड़ा पुत्र वृद्ध माँ को अलग रहने को विवश करता,
ऐसा पाप करते देख माँ का हृदय दुःख से द्रवित हो जाता।
इतना होते हुए भी माँ नही कहती तू मुझसे अलग रहे,
माँ तो बस कहती इस जन्म क्या सातों जन्म तू साथ रहे।

माँ मैं तेरे ये कर्म कभी नही भुला पाऊंगा,
सातों जन्म तक मैं तेरा ऋणी सदा रहूँगा।।

बहन

रूबीना कौसर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

बहना ओ मेरी प्यारी बहना।
बहना ओ मेरी प्यारी बङी बेहना।
मुझे तुझसे बस यही है कहना कि मुझे तुझसे दूर नहीं रहना।
जीवन भर तेरे संग ही रहना।
ओ मेरी प्यारी बङी बहना।।

कैसे तू हर दुख दर्द को सह जाती है?
कैसे तू छोटे भाई – बहन की हर मुश्किलें दूर कर जाती है?
कैसे तू घर के परेशानी में अटल खड़ी हो जाती हैं?
कैसे तू अपनी सब खुशियों को त्याग कर हमारी खुशियों में शामिल हो जाती है?

माँ के लिए तू है शान।
और पिता के लिए तू है अभिमान।
सच में तू बड़ी है महान।।

समाज के लिए तू संस्कारी।
माता-पिता के लिए है तू है आज्ञाकारी।
और भाई बहनों के लिए है तू सबसे प्यारी।।

तू कभी हिटलर दीदी बन जाती हैं।
तो कभी हमारी सखी बन जाती है।
कहां से लाती इतनी समझदारी है?

सच में तू जाग से है न्यारी।
माँ की दुलारी।
पिता की राजकुमारी।
घर में सबसे प्यारी।।

बहना ओ मेरी प्यारी बड़ी बेहना मुझे बस तुझसे यही है कहना।
मुझे तेरे ही नक्शों कदम पर है चलना।
मुझे तेरे जैसा ही बनना।।

तू सच में बड़ी है महान।
लोग यूं ही नहीं कहते बड़ी बहन को माँ के समान।।

मैं चाह कर भी तेरे सारे एहसानों को नहीं चुका पाऊंगी।
बस ऊपर वाले से यही प्रार्थना करूंगी।
कि हर जन्म में तेरे ही छोटी बहन बनना चाहूंगी।।

बाबा

अंजली मिश्रा
कलमकार @ हिन्दी बोल India

मेरे बचपन के गवाह हो तुम।
मेरे बचपन के शुरुवाती दिनो में
मुझे पढ़ाए तुम।
मेरे जुबां को इंग्लिश उर्दू, टेंस सिखाए तुम।
मेरे घर के हर एक ईट की नीव हो तुम।
मेरे हर कविताओं के मुकामल्ल हो तुम।
मेरे हर कहानियों से इस्तकबाल हो तुम।
मेरे जीवन के निर्वाह हो तुम।
मेरे विस्वास के आधार हो तुम।
मेरे हर शब्द के सारांश हो तुम।
मेरे बाबा बस तुम।
तुम्हारी ही प्रकाश ज्योति से
आज आप पर ही लिख रही।

बेटी

सरिता श्रीवास्तव
कलमकार @ हिन्दी बोल India

जब तुम इस दुनिया में आयी तो मानो
सारी दुनिया मेरे गोद मे समा गयी,
तुम्हारी वो पहली हँसी मुझे बहुत ही रुलायी।।

समझ नहीं सकी की अपनी ये दुनिया मै कैसे समेटूँ,
तुम्हारी वो मासूम आँखे मानो मुझसे कह रही हो
माँ मुझे सीने से लगाये रखना
इस दुनिया से डर लगता है,
अभी तो मैने किसी को जाना तक नही, सिवाय तुम्हारे माँ।
मेरी प्यारी बेटी…

पापा की बातें, दादा की ठहाके, दादी की कहानियाँ
और वो घंटों नाना- नानी की किलकारियाँ ये सब मैने सुना है माँ,
पर माँ मुझे तो सबसे ज्यादा तुमने जाना।
मेरी प्यारी बेटी..

तुम्हें मैं दुनिया की हर बुरी नजर से बचाऊँगी,
कभी साथी कभी सहेली बन दिखाऊंगी,
आयेगी कोई भी समस्या को तुरंत हल ढूंढ निकालूँगी,
जो तुम रूठो मुझसे तो सारा दिन मनाऊँगी।
मेरी प्यारी बेटी…

आये ना तुम पर कोई भी आँच,
चट्टान बन जाऊंगी, गिरो जो तुम कभी तो राह बिछ जाऊंगी,
लड़खडाए जो कदम तुम्हारे तो हाथ ममता का बढ़ाऊँगी,
जो तुम्हें भूख लगे तो पाप से पहले तुम्हे खिलाऊँगी।
मेरी प्यारी बेटी…

तुम जो बुलाओ तो तुरंत दौड़ी आऊ,
लगे जो तुम्हे हल्की सी चोट तो दिल मेरा निकल आए,
दू मै तुम्हे दुनिया की सारी खुशी जो मैंने भी ना पायी हो,
आये जो सर पर कभी दुःख के बादल
बस पकड़ लेना अपनी माँ का ये आँचल।
मेरी प्यारी बेटी…

अब्बा

अब्बा के दोनों पैरों पर सुत कर शिशु खुशी से लहर रहा था और अब्बा भी खुशी के मारे लहराते हुए उछल रहे थे। दोनों लोगो की भावभंगिमा देखकर ही कुछ पंक्तियां कलमबद्ध हुई है।

इमरान सम्भलशाही
कलमकार @ हिन्दी बोल India

झर झर सी बतियां मुखरती झरनों में है
बचपन का झूला भी अब्बा के चरनों में है

लहराते है अब्बा
मुझे जब सुलाकर
शीतल भी देते है
गीतों को गाकर

कानों को मिलती
है, सुगंधित मिठासें
देते है अपनी सारी
उमर भर की सांसें

सुमधुर की ध्वनियां अब्बा की अंगनों में है
बचपन का झूला भी अब्बा के चरनों में है

फुदकती हुई क़दमों
को, अब्बा सम्हालते
बाहों को पकड़ कर
उछलकर दुलारते

पप्पी की झपकी
भी, गालों में देते
ओठों पे मुस्कान
ही, मुस्कान विखेरते

खुशियों सी खुशी मिलती सदा अपनों में है
बचपन का झूला भी अब्बा के चरनों में है

छुअन से तारे हुए
अंखियां मिचकाते
सुंदर से मुखड़ों में
से, रोनी फिसलाते

उछलते कदम संग
खुद भी उछलते
मचलने मचलने में
ही, खुद भी मचलते

भले से सुलाकर ही संवारते गहनों में है
बचपन का झूला भी अब्बा के चरनों में है

लोरी भी गाकर
हमे ही सुनाते
गीतों के गीतों में
संगीतों को गाते

ओंठों की तोतली
से, तोतली बरसाते
दुलारों के पेड़ों से
खुशियां ही महकाते

अम्मा ही हिरनी है अब्बा भी हिरनों में है
अब्बा का झूला भी अब्बा के चरनों में है

नानी

कितनी भोली कितनी प्यारी
क्या कहूँ कैसी थी नानी
सुंदर चेहरा निर्मल काया
और थी उसकी मीठी वाणी
गंगा सा निश्छल मन था उसका
और निर्मल था उसके मन का पानी
क्या कहूँ कैसी थी नानी.!!

हर गुण उसमे कूट भरा था
वक्त भी उसके पांव पड़ा था
उम्र उससे थी उसकी डरती
न थी घटती न थी बढ़ती
जब देखो दिखती थी वैसी
जैसी थी पहले वो दिखती
थी सेहत या रौनक थी मन की
या थी उस पर रब की मेहरबानी
क्या कहूँ कैसी थी नानी…!!

होती थी न निराश कभी वो
देती थी दर्द का न होने
एहसास कभी वो
दुख हो,सुख हो,जो हो हिस्से में
दूर कर देती झठ किस्से में
कभी खुद वो थी लोरी बन जाती
कभी मधुर सा गीत सुनाती
कभी बचपन की बात बताती
कभी कहती थी चुटकूले कहानी
क्या कहूँ कैसी थी नानी..।

ले पिटारा जब बैठती थी वो
हँस प्यार से कान मेरा एंठती थी वो
मुन्नी हँसती मुन्नु हँसता
और हँसते थे मामा मामी
कभी गुड्डे की गुड़िया हँसती
कभी हँसती थी राजा की रानी
कभी जंगल का भालू हँसता
कभी हाथी दादा करते मनमानी
क्या कहूँ कैसी थी नानी..।।

था पिटारा उसका कुछ ऐसा
रहता था जिसमे बस प्रेम का पैसा
पाचक रखती गोली रखती
और रखती थी केसर जफ़रानी
झठ जिसे दूध में मिला देती थी
बातों बातों में दूध पिला देती थी
गुझिया देती,देती चने भुने थी
खा जिन्हे मुह में आता था पानी
क्या कहूँ कैसी थी नानी..।

मैंने पहले था नानी को जाना
उसको ही मैने “माँ” था माना
आँचल जाना पहले मैंने नानी का
तब थी गोद मैंने माँ की जानी
क्या कहूँ कैसी थी नानी
क्या कहूँ कैसी थी नानी..!!

फिर इक दिन ऐसा वक्त भी आया
जब सबने था उसे सोते से जगाया
लाख कोशिश की सबने लेकिन
रही सोयी पर जागी न नानी
छोड़ गई सबको रोता बिलखता
दे हँसते खेलते आँखों में पानी
क्या कहूँ कैसी थी नानी…!!

शुरू भी थी वो, अंत भी थी वो
थी बुढ़ापा, थी वो जवानी
जली चिता पर वो सज धजकर थी जब
रोया था बादल,बरसा था पानी
हो राख मिली पंचतत्व में जब वो
हुई खत्म इक पावन कहानी
क्या कहूँ कैसी थी नानी।।
क्या कहूँ कैसी थी नानी।।

विनोद सिन्हा “सुदामा”
कलमकार @ हिन्दी बोल India

भाई

प्रिया कसौधन (पूर्वी)
कलमकार @ हिन्दी बोल India

लड़कियों का पहला हीरो
उसका प्यारा भाई होता है
भाई छोटा हो या बड़ा
बहन को अति प्रिय होता है
हर खुशी में और हर ग़म में
साथ हमेशा खड़ा रहता है
मेरी हिम्मत मेरा हौसला
सदैव भाई से होता है
मेरा भाई हर रिश्तों को
बखूबी निभाता है
कभी पिता कभी भाई बन
प्रेम सदा बरसाता है
गर हो माथे पर कोई चिंता
ना वो कभी बताता है
होठो की खामोशी को
झट से समझ वो जाता है
बहनों की खुशियों का
बहुत ख्याल वो रखता है
भाई आप ही तो
लाज राखी की रखते हो
वैसे तो थोड़े शक्त है बड़े भाई
लेकिन मुसीबत आने पर
वो मोमबत्ती की भांति पिघलते है
हर खुशी में और हर ग़म में
साथ अपनो के रहते है
भगवान के जैसे है मां-बाप
तो मेरे फरिश्ते जैसे है दो भाई

पिता

संजय वर्मा “दृष्टि”
कलमकार @ हिन्दी बोल India

गुजर गए पिता की
स्मृतियों को याद करके
सोचता हूँ, कितना सूनापन
उनके बिना।

घर में उनकी सहेजी हुई
हर चीज को जब छूता हूँ
तब उनके जिवंतता का
अहसास होने लगता।

डबडबाई आँखों से
एलबम के पन्ने उलटता
तब जीवन में उनके
संग होने का आभास होता।

पिता की बात निकलने पर
अच्छाईयाँ मानस पटल पर
स्मृतियों में उर्जा भरने लगती।
जब परीक्षा में पास होता
तब पिता शाबासी से
पीठ थपथपाते
आज उनके बिना पीठ सुनी।

स्मृतियाँ अमर
लेकिन यादों की उर्जा पर
इसलिए कहा गया है कि
करोगें याद तो हर बात
याद आएगी।

पापा

हेमन्त माहौर
कलमकार @ हिन्दी बोल India

जो भी सपने देखे हैं आपने मेरे लिए,
जो भी कष्ट झेले हैं आपने मेरे लिए,
मेरी ख्वाहिशों के लिए जिया है ये जीवन आपने,
किया है खुद को लाचार आपने मेरे लिए,
अब और लाचार आपको होने ना दूंगा।
किया है वादा खुद से, आपको कभी रोने ना दूंगा।।

अब आपके साथ हर कदम चलना है मुझे,
आपकी हर सांस में अब ढलना है मुझे,
मेरे जीवन को बहुत तराशा है आपने,
आपकी हर राह अब आसान करना है मुझे,
अब और आपके मन का चैन खोने ना दूंगा।
किया है वादा खुद से, आपको कभी रोने ना दूंगा।।

दे दो अब अपनी हर जिम्मेदारी मुझे,
करनी है आज ही सब तैयारी मुझे,
जो काम करते हो आप हमारे लिए,
ये देखना अब पड़ रहा है भारी मुझे,
आपने ढोया है बोझ हमारा, अब और ढोने ना दूंगा।
किया है वादा खुद से, आपको कभी रोने ना दूंगा।।

दोस्त

रेशमा कौसर 
कलमकार @ हिन्दी बोल India

दोस्त क्या हैं?
जो रोते हुए को हंसा दे, वो है दोस्त।
जो हर गम को भुला दे, वो है दोस्त।
जो भटके हुए को सही राह दिखा दे, वो है दोस्त।
जो अंधेरे मे दीप जला दे, वो है दोस्त।
जो गम ओर तकलिफ में भी हंसा दे, वो है दोस्त।
जो कभी हिम्मत टूटने ना दे, वो है दोस्त।
जो मरते हुए को जीना सिखा दे, वो है दोस्त।
जो हर सुख – दुःख और हर कदम में साथ दे, वो है दोस्त।
जो हर आंसू को कर दे मोती, वो है दोस्त।
जो दिल के हर दर्द को जो मेहसूस करते है, वो है दोस्त।
जो हर नाकामी को हारा दे ,वो है दोस्त।
जो हर दिल मे रहे जिन्दा, वो है दोस्त।

और क्या लिखूँ ऐ दोस्त तेरे बारे में,
ज़िन्दागी में कुछ ना पा सके तो क्या गम है।
तुम्हारे जैसा दोस्त पाया क्या ये किसी उपहार से कम है।।

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