कई कारण होते हैं किसी घटना/कार्य पूरा होने के पीछे। हमारी आदतें, इरादे और व्यवहार जैसे अनेक कारण अमित मिश्र ने अपनी रचना में जाहिर किया है।
ओस की बूंदों से रेगिस्तां में फूल नहीं खिलता,
उधार के पैसे से कभी जश्न-ए-बहार नहीं होता।
तलाश थी कभी अकेले में गुफ्तगू हो उनसे,
चलते हुए राह में प्यार-ए-इजहार नहीं होता।
वो खफा थे इस कदर की कोई बात हुई नहीं,
तेज हवाओं में प्यार का चिराग नहीं जलता।
पतझड़ सी बेजान हो गयी है जिदंगी हमारी,
बुरे वक्त में कोई अपना भी साथ नहीं देता।
मेरे दिल के आइने में अब तस्वीर तुम्हारी है,
कोई अपना हो दूर तो चैन से कोई नहीं सोता।
ये प्यार का एहसास है चैन से सोने नहीं देता,
उनसे दूर होकर दिल मुझे हंसने भी नहीं देता।
दिल रोता है बुजुर्गों को देख अनाथालय में,
बिन माँ बाप के दुवा से मंजिल नहीं मिलता।
समय का चक्र है जो बदलते रहता है अमित,
बिन अंधेरी रात के सुबह का सूरज नहीं होता।
~ अमित मिश्र