२३ मार्च का दिन भारतीय इतिहास में शहीदी दिवस के रूप में जाना जाता है। भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव को २४ मार्च १९३१ को फांसी दी जानी थी, लेकिन एक दिन पहले २३ मार्च को दी उन्हें फांसी दे दी गई थी। कलमकार गौरव शुक्ला’ अतुल’ की यह कविता शहीदों की श्रद्धांजलि है।
एक बूंद गिरी, जब ख़ून गिरा
खुद को वतन पर लुटाया गया।
वतन के रखवाले कभी हुआ करते थे,
भगत का गुरु जब सुखदेव बताया गया।
मुस्कुराते चेहरे पर आज़ादी का सुकून था,
एक सर था गर्व का जो किसी के आगे झुकाया न गया।
कितना दर्द सहा होगा अपनो के लिए,
वतन का होकर वतन की मिट्टी में दफ़नाया न गया।
एक मां का बेटों का शहीद ही होना था,
जो अब तक किसी को भी भुलाया न गया।~ गौरव शुक्ला ‘अतुल’
Post Code: #SWARCHIT521D
Leave a Reply