अखिल ब्रह्मांड के नायक, मानव में है उत्तम ।
कार्य सब मर्यादित किए, कहलाए पुरुषोत्तम।।
अभिनय एक से अनेक है, पुत्र शिष्य रणधीर ।
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को, जन्म लिए रघुवीर।।
पितु आज्ञा किए शिरोधार्य, किए गमन भू तारी।
तीर्थ बने जहां चरण पड़े, नारायण के अवतारी।
जीवन नैया पार लगाए, दिव्य छवि जग को मोहे,
त्याग की मूर्त मनभावन, ऐसे राम हर युग होये ।।
आदर्शों में जीवन सारा, राम नाम है अति प्यारा।
जीवन जो सरस बनाए, महिमा शतकोटी अपारा।।
~ राज शर्मा