मई २०२१ – अधिकतम पढ़ी गई कविताएं

MAY-2021: 1) काश तुम आ जाते ~ चाँदनी झा • 2) पिता ~ चाँदनी झा • 3) बेटी का हिसाब ~ जय अग्निहोत्री ‘यथार्थ’

चाँदनी झा
कलमकार @ हिन्दी बोल India

१) काश तुम आ जाते

काश तुम आ जाते.
याद आते हो हर पल,
क्यों सताते हो हर पल?
तेरी दीवानगी तेरी जुस्तजू,
तेरा यूं चाहना, यूं पागल बनाना,
आ ही जाता है खयालों में हर पल।।

तू कहां, आज मैं यहां अकेली,
तुझे ढूंढती है निगाहें हर पल।
आगोश में तेरी, तेरी ख्वाबों में,
मैंने बिताये थे जो पल।
सांस भी नहीं लेने देती,
करती है बेकल,
क्या कहा था तुमने ना भूल पाओगे मुझे?
पर अब याद भी नहीं करते हो बेखबर।।

तेरा जाना भी न भूल पाई हूँ,
अजनबी सा कर दिया था बना के पागल।।
काश तुम फिर से आ जाओ
देखने को मचलता है मेरा मन हर पल।।

चाँदनी झा
कलमकार @ हिन्दी बोल India

२) पिता

मां की अरमान,
बच्चों की उम्मीद है पिता,
क्या कहूं चंद शब्दों में?
बच्चे हैं खुशनसीब साथ यदि है पिता।
खुद कर चाकरी मुझको पढ़ाया,
मेरे हर उपलब्धि पर गर्व मनाया।
कपड़ों की फिक्र नहीं, दर्द का कोई जिक्र नहीं,
मैं रहूं खुश बस इसी फिक्र में दिन-रात समाया।।
बच्चों को नाम, समाज में पहचान दिलाता है पिता।
धर्म से हो या कर्म से, बच्चों की मुस्कान है पिता।।
मां की ममता, पिता का प्यार,
बिना इसके क्या होता कहीं घर संसार?
मां जान लुटाती, तो पिता जीवन देते।
यूं ही नहीं बच्चे बड़े होते।।
मां की ममता है अनमोल,
तो पिता के मेहनत का भी ना कोई मोल।
हम सर उठा कर जीते हैं,
सर पर यदि हाथ पिता का होता।
हम तो जी रहे पिता के साथ,
मत पूछो उनसे जो इस रिश्ते को जी नहीं पाता।।
जिंदगी की रोशनी, मैं जिन की परछाई।
पिता और मां हैं, तो ही मैं आज यहां तक आई।।
मां संसार, स्वाभिमान है पिता,
दुनिया में हमारे आने का जरिया है मां और पिता।

जय अग्निहोत्री ‘यथार्थ’
कलमकार @ हिन्दी बोल India

३) बेटी का हिसाब

बेटी दी है रब ने, बेटी का हिसाब क्या देते,
सवाल सारे गलत थे, तो तुम जबाव क्या देते।

एक सवाल मेरा भी, क्या जवाब दोगे,
प्रेम के लिए , पुरुषत्व को तुम अपना लोगे।

आज जिसकी आवाज़ को तुमने, कदमों तले दबा दिया,
रुख मोड़ दे आँधी का वो, तुम अधिकार तो देते ।

नारी की जिस शक्ति का, शायद तुमको आभास नहीं,
नारी बिन इस दुनिया में जीवन का कोई प्रकाश नहीं ।

बिन नारी इस दुनिया में, न मैं रहूंगा, न तुम होगे,
नारी है तो सब कुछ है, शायद तुझको विश्वास नहीं।।

नारी से हम-तुम बने, इस सृष्टि में जीवन खिले,
इस दुःख भरे संसार में, फिर प्यार की कलियाँ खिले।

अपमान मत कर तू नारियों का, जिनके वजह से तू चलता है,
नारी ने तुझको जन्मा है, नारी की गोद में तू पलता है।

मत सोच! की नारी को, आगे बढ़ना न आता है,
मत सोच! की नारी को, दुःख से लड़ना न आता है।

नारी ने जब भी जन्म लिया, इस अंधकार के जीवन में,
हर मुश्किल से उसको लड़ना, और संघर्षों से टकराना आता है।

जिसने नारी को प्यार दिया, उसका आदर सम्मान हुआ,
जिसने नारी को अबला समझा, फिर उसका भी तिरस्कार हुआ।

जिसने नारी को उपभोग समझकर, उसका सिर्फ उपयोग किया,
तो उसके जीवन में, काली रात सा अंधकार हुआ।

आखिर इस आधुनिक जीवन में, ऐसा क्यों समझा जाता है,
लड़का और लड़की में फिर क्यों भेदभाव किया जाता है।

आखिर लोगों के मन में, सामान्यता क्यों न आती है,
लड़का जो हुआ तो खुश होते, लड़की को मारा जाता है।

नारी सशक्तिकरण के नारों ने सबको फिर से बतलाया है,
आज मेरे मन में फिर, इक वही सवाल उठाया है।

वेदों और पुराणों में जिस दुर्गा की माहिमा की गाते हैं,
अब कोख में जब आती बेटी, तो उसकी हत्या करवाते हैं।

फिर से आज इक बेटी को, पन्नी में कर के फेंका है,
लोगों ने आज इस दुनिया में, इंसानियत को फिर से बेचा है।

किया है पाप जो तुमनें, भुगतना तुमको भी होगा,
तेरे इस कुकर्म के बदले में मरना तुमको भी होगा।

धन्यवाद इस मंच का जिसने मुझे मौका दिया,
नारी के संघर्ष भरे जीवन को, कुछ शब्द में बतला दिया।

नारी तो वो रत्न है जिसकी, कीमत कोई ना लगा पाया,
कविता सुनी है आप सब ने जिसे जय ने है बतलाया।


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