अभी तक जिंदा हूँ
कुछ आस अभी बाकी है,
थक गया हूँ फिर भी
मुस्कान अभी बाकी है।
कायम है दोस्ती
क्योकि ईमान अभी बाकी है,
मौसम जैसे बदला नहीं
सच्चाई अभी बाकी है।
जानता हूँ दर्द उसका
जख्म अपने भी भरे नहीं,
काटे हैं कितनी मुश्किलें
पर किसी से कहे नहीं।
हरपल चले हैं सत्य मार्ग
झूठ हम सहे नहीं,
जहाँ नहीं मिला है सत्य
एकपल वहाँ रहे नहीं।
समझता हूँ हर चाल
उसकी चाल हम चले नहीं
भर लेता हूँ जख्म अपने
घाव कभी दिए नहीं।
हरा देता हूँ दुष्मन को
एक मीठी मुस्कुराहट से,
विजय अपनी समझता हूँ
उसकी छटपटाहट से।
धोखा नहीं किया हूँ
कभी भी अपने मीत से,
जोड़ा हूँ दिलों को उनसे
विश्वास की संगीत से।