दृढ़ संकल्प शक्ति आपकी कभी हार नहीं होने देती है, यह तो सफलता के नए मार्ग दिखाती है। कलमकार मुकेश अमन की एक कविता संकल्प की साधना पढ़िए।
संकल्प साधने वालों की,
कभी हार नहीं होती है।
केवल सपनों से सागर में,
नाव पार नहीं होती है।।१।।संघर्षों के पथ को चुनना,
चुनकर बाधाओं से लड़ना।
साहस रगों में तब दिखता है,
जब आ जाता खुद से भिड़ना।।२।।हिम्मत वालों की कोशिश फिर,
तार-तार नहीं होती है।
संकल्प साधने वालों की,
कभी हार नहीं होती है।।३।।चने लोहे के खूब चबाना,
चबा-चबा कर बढ़ते जाना।
मंजिल पर हो नजर-निशाना,
हर ठोकर पर चढ़ते जाना।।४।।फिर अमन हौसले-कदम की,
कम रफ्तार नहीं होती है।
संकल्प साधने वालों की,
कभी हार नहीं होती है।।५।।गिरना, उठना, उठकर चलना,
चलना और संभलना है।
खेल है शूर-सवारों का,
लड़कर जय से मिलना है।।६।।मंजिलें झुकती है, मेहनत,
कि बेकार नहीं होती है।
संकल्प साधने वालों की,
कभी हार नहीं होती है।।७।।~ मुकेश बोहरा अमन