प्यार का ज़िक्र

प्यार का ज़िक्र

कलमकार अमन आनंद ने प्यार के जिक्र को अपने अंदाज में लिखा है। प्रेम का इजहार भी कवियों को कविताएँ लिखने का के लिए खास मुद्दा जान पड़ता है।

न यूँ नज़रों से क़त्ले आम कर दे
ये दो प्याले हमारे नाम कर दे।
पिलाए जा मुझे आँखों से यूँ ही
ख़त्म हो जो न ऐसी शाम कर दे।

न आए होश, कुछ ऐसा नशा हो
मेरे साक़ी मुझे बदनाम कर दे।
तेरे दम से है मैख़ाना सलामत
करम हाय न यूँ इल्ज़ाम कर दे।

रहा मेरा यहाँ है आना जाना
तू कर ऐसा मुझे गुमनाम कर दे।
तेरा चेहरा है आँखों में समाया
ज़रा सुन, मेरा तू इक काम कर दे।

पिला भर भर के चाहे दूसरों को
पर इन आँखों को मेरे नाम कर दे।
भरा हो मैकदा जब मैकशों से
मेरा है तू, ख़बर ये आम कर दे।

रहें छल्के तेरे आँखों के प्याले
ये बादा मीना हर इक गाम कर दे।
तुझे जाना तो जानी हमने उलफ़त
ख़ुदा इसका भला अन्जाम कर दे।

~ अमन आनंद

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